बाजार मूल्य से मुआवजा देने की मांग, नहीं मानी तो आंदोलन की चेतावनी
हनुमानगढ़। हिमांशु मिढ्ढा
तहसील हनुमानगढ़ के चक 1, 2, 3 एस.टी.जी. एवं चक 2 व 5 के.एन.जे. की कृषि भूमि से प्रस्तावित साधूवालीदृबनवाली रिंग रोड निर्माण के लिए अधिग्रहण की प्रक्रिया को लेकर किसानों में भारी रोष है। इस संबंध में किसानों की ओर से माननीय मुख्यमंत्री राजस्थान सरकार, जयपुर के नाम ज्ञापन जिला कलेक्टर हनुमानगढ़ के मार्फत सौंपा गया। ज्ञापन में किसानों ने डी.एल.सी. दर के बजाय वर्तमान बाजार मूल्य के अनुसार उचित मुआवजा दिलवाने की मांग की है।ज्ञापन में बताया गया कि संबंधित चक हनुमानगढ़ जिला मुख्यालय से मात्र लगभग दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं। ऐसे में इन चकों की कृषि भूमि अत्यंत कीमती है, जिसकी वर्तमान बाजार कीमत 30 लाख से 50 लाख रुपये प्रति बीघा तक है।
इसके विपरीत प्रशासन द्वारा डी.एल.सी. दर से मुआवजा देने की तैयारी की जा रही है, जो किसानों के लिए अत्यंत नुकसानदायक है। किसानों का कहना है कि इतनी कम दर पर भूमि अधिग्रहण होने से उनका आर्थिक संतुलन पूरी तरह बिगड़ जाएगा।किसान सुभाष मक्कासर ने यह भी बताया कि इन चकों की भूमि अत्यधिक उपजाऊ है और यहां अन्य क्षेत्रों की तुलना में बेहतर पैदावार होती है। कई किसानों के पास केवल एक से दो बीघा कृषि भूमि ही है, जो पूरी तरह सड़क परियोजना में अधिग्रहित हो जाएगी। ऐसे किसानों के लिए यह मुआवजा किसी भी तरह से उनके नुकसान की भरपाई नहीं कर सकता।ज्ञापन में यह भी उल्लेख किया गया कि कई काश्तकारों के खेतों में ट्यूबवेल कनेक्शन लगे हुए हैं, जिन पर लगभग 15 लाख रुपये तक का खर्च आता है। इसके अतिरिक्त, कुछ किसानों की ढाणियां भी सड़क के दायरे में आ रही हैं। इन ढाणियों के टूटने से किसान न केवल अपनी जमीन, बल्कि अपने घर से भी बेघर हो जाएंगे, जिससे उन्हें दोबारा आवास बनाने में लाखों रुपये का अतिरिक्त नुकसान उठाना पड़ेगा।किसानों ने प्रशासन से मांग की है कि भूमि अधिग्रहण से पहले वास्तविक स्थिति को समझते हुए बाजार मूल्य के अनुरूप मुआवजा तय किया जाए, ताकि प्रभावित काश्तकारों के साथ न्याय हो सके। ज्ञापन में स्पष्ट चेतावनी दी गई है कि यदि उनकी मांगों पर गंभीरता से विचार नहीं किया गया तो किसान आंदोलन का रास्ता अपनाने को मजबूर होंगे, जिसकी संपूर्ण जिम्मेदारी प्रशासन और सरकार की होगी। इस मौके पर सुभाष मक्कासर, उग्रसेन सियाग, सुखचौन सिंह, जगतार सिंह, राजू गोदारा, रायसिंह, रवीन सियाग, मखन सिंह, हनुमान सियाग, वीर सिंह, सतनाम सिंह, सुनील भाम्भू मौजूद थे।












