सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ सीटू का हल्ला बोल, 26 नवंबर को बड़े आंदोलन का ऐलान
हनुमानगढ़।हिमांशु मिढ्ढा
सीटू के राष्ट्रीय आह्वान पर केन्द्र सरकार द्वारा लागू किए गए चार नए श्रमिक कानूनों के विरोध में रविवार को जंक्शन रेल हैड माल गोदाम के पास मजदूरों ने जोरदार प्रदर्शन किया। मजदूरों ने इन कानूनों को अपने अधिकारों पर कुठाराघात बताते हुए श्रम कानूनों की प्रतियां जलाकर अपना गुस्सा जाहिर किया। प्रदर्शन के दौरान मजदूरों ने सरकार के खिलाफ नारे लगाते हुए श्रमिक हितों की रक्षा की मांग उठाई।सीटू जिला महासचिव शेर सिंह शाक्य ने कहा कि यह नए श्रमिक कानून मजदूरों को अधिकार देने के बजाय उनसे अधिकार छीनने का काम करेंगे। मजदूरों की यूनियन बनाने की स्वतंत्रता सीमित कर दी जाएगी और ठेका प्रणाली को बढ़ावा देकर मजदूरों को ठेकेदारों की मनमानी का शिकार बनाना तय है। उन्होंने आरोप लगाया कि मजदूर हितों की अनदेखी करते हुए तीन वर्ष से लगातार दर्ज हो रहे विरोध को दरकिनार कर सरकार ने पूंजीपतियों के हित में श्रमिक कानूनों को बदल डाला है।
शाक्य ने कहा कि हिटलरशाही प्रवृत्ति के साथ मजदूर अधिकारों को पूंजी के हवाले करना लोकतांत्रिक मूल्यों पर तीखा हमला है।अपने संबोधन में शाक्य ने ऐतिहासिक संदर्भ भी दिए। उन्होंने बताया कि 1929 में ब्रिटिश सरकार जनता व मजदूरों के अधिकारों को खत्म करने के लिए पब्लिक सेफ्टी बिल और ट्रेड डिसप्यूट बिल लेकर आये थे, जिसके विरोध में देशभर में इंकलाब की लहर दौड़ी थी और शहीद भगत सिंह ने असेंबली में बम विस्फोट कर नारा दिया था— “बहरों को सुनाने के लिए धमाके की जरूरत होती है।” इसके बाद ब्रिटिश सरकार को यह कानून वापस लेने पर बाध्य होना पड़ा था। शाक्य ने कहा कि आज एक बार फिर हालात उसी दिशा में बढ़ रहे हैं और मजदूर वर्ग को संघर्ष के लिए तैयार रहना होगा।उन्होंने घोषणा की कि 26 नवंबर को मजदूर एक बड़ा आंदोलन करेंगे जो सरकार को मजदूरों की आवाज सुनने पर मजबूर कर देगा। उन्होंने कहा कि मजदूर अपने अधिकारों, न्याय, सुरक्षा और सम्मान के लिए एकजुट होकर निर्णायक संघर्ष करेंगे और किसी भी कीमत पर श्रम अधिकारों को छीनने नहीं देंगे। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने कानून वापस नहीं लिए, तो संघर्ष और तीव्र किया जाएगा।प्रदर्शन के दौरान मजदूरों में भारी उत्साह देखा गया और सभी ने संघर्ष को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया। इस मौके पर सुलतान खान, रिछपाल सिंह राठौड़, वारिस अली, अफसर अली, रोहिताश, राकेश, सलीम,विनय कुमार सिकंदर, फिरोज खान सहित बड़ी संख्या में मजदूर मौजूद रहे। उन्होंने कहा कि मजदूर एकजुट हैं और अधिकारों की लड़ाई आखिरी दम तक जारी रहेगी।













