सेंट्रल पोल्यूशन कंट्रोल बोर्ड भोपाल के अधिकारी पहुंचे झुंझुनूं

झुंझुनूं । अजीत जांगिड़
शहर के बीच में स्थित काना पहाड़ में खनन का विवाद अब एनजीटी तक पहुंच गया है। जी, हां क्षेत्र के प्रभावित लोगों ने आपस में ही चंदा इकट्ठा कर एनजीटी भोपाल में अपनी याचिका लगाई है। जिसका असर देखने को मिला है। याचिका में रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए सेंट्रल पोल्यूशन कंट्रोल बोर्ड भोपाल के अतिरिक्त निदेशक सुनिल मीणा की अगुवाई में एक जांच टीम झुंझुनूं पहुंची। स्टेट पोल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के सुधीर यादव, जिला प्रशासन की ओर से एसडीएम कौशल्या विश्नोई, तहसीलदार महेंद्र मूंड, खनन अभियंता रामलाल सिंह के साथ करीब दो घंटे तक काना पहाड़ की धरातली हकीकत और क्षेत्र के लोगों से बातचीत करने के बाद टीम वापिस लौट गई। कृषि विभाग के रिटायर्ड उप निदेशक और क्षेत्रवासरी अकरम अली ने बताया कि काना पहाड़ में खनन बंद करने को लेकर लंबे समय से मांग की जा रही है। 2007 में तत्कालीन एसडीएम और कलेक्टर ने काना पहाड़ में खनन बंद करने की सिफारिश भी कर दी थी। लेकिन खान विभाग और प्रदुषण नियंत्रण बोर्ड ने मिलीभगत कर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को दरकिनार कर खनन की परमिशन दे दी। जिसके खिलाफ अब क्षेत्र के लोगों ने ही आपस में चंदा इकट्ठा कर एनजीटी में गुहार लगाई है। उन्होंने बताया कि यहां पर 50—60 घर तो खनन से पूरी तरह और 100 से ज्यादा घर आंशिक रूप से प्रभावित है। यह क्षेत्र मास्टर प्लान में भी पर्यावरण प्रगति के लिए आरक्षित है। सभी बातों को दरकिनार करके खनिज विभाग और पर्यावरण प्रदुषण नियंत्रण बोर्ड इस क्षेत्र में खनन शुरू करवाने पर आम्दा है। आपको बता दें कि शहर के समस तालाब के नजदीक काना पहाड़ क्षेत्र में टीम ने काना पहाड़ी में खनन से हुई खदान, तालाब, कबूतर खाना, काना पहाड़, समस तालाब, पशु उप चिकित्सा केंद्र, मंदिर, दरगाह समेत खनन क्षेत्र से सटे परिया का बारीकी से जायजा लिया। इस टीम ने स्थानीय लोगों के साथ ही खनन धारकों से भी बातचीत कर उनका पक्ष जाना। एनजीटी के निर्देश पर आई टीम को 17 नवंबर से पहले रिपोर्ट एनजीटी को प्रस्तुत करनी है। क्योंकि इस मामले की अगली सुनवाई 17 नवंबर को है। आपको यहां यह भी जानकारी दे दें कि शहर की आबादी से सटे काना पहाड़ में लंबे समय से खनन कार्य बंद था। 2022 में यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। सुप्रीम कोर्ट ने 2023 में स्टेट लेवल एनवायरमेंट एसेसमेंट अथॉरिटी को इस मामले में सुनवाई करने को कहा। यहां से अनुमति मिलने पर जिला स्तर पर कलेक्टर से ईसी लेकर अक्टूबर 2024 में यहां बनन कार्य शुरू। आबादी क्षेत्र में ब्लास्टिंग से लोगों के मकान में दरारें आने लगी। घरों में कंपन महसूस होने लगा। लोग विरोध में उतर आए। कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन किए। तब प्रशासन को 6 दिसंबर को आबादी क्षेत्र में खनन कार्य बंद करना पड़ा। अब मामला एनजीटी के सामने भी पहुंच गया है।
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