
झुंझुनूं । अजीत जांगिड़
वरिष्ठ फिजीशियन डॉ. राजीव दूल्लड़ ने कहा कि अस्थमा कोई लाइलाज बीमारी नहीं है, बल्कि सही उपचार, अनुशासन और जीवनशैली से इसे पूरी तरह नियंत्रित किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि आज के समय में अस्थमा के मरीज भी सामान्य जीवन जी सकते हैं, बशर्ते वे नियमित रूप से दवा लें और डॉक्टर की सलाह का पालन करें। डॉ. दुल्लड़ ने बताया कि अस्थमा में सांस लेने में तकलीफ, सीने में जकड़न, खांसी और सीटी जैसी आवाज के साथ सांस चलने जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। यह रोग अक्सर बदलते मौसम, धूल-मिट्टी, धुएं, परागकण और प्रदूषण के कारण बढ़ जाता है। उन्होंने कहा कि पहले लोग इस बीमारी से डरते थे, लेकिन अब चिकित्सा विज्ञान ने इतनी प्रगति कर ली है कि अस्थमा को पूरी तरह नियंत्रण में रखा जा सकता है। उन्होंने इनहेलर से जुड़ी आम भ्रांति पर भी प्रकाश डाला। डॉ. दूल्लड़ ने कहा कि अधिकांश लोग इनहेलर को जीवनभर न छूटने वाला पंप समझते हैं। जबकि यह पूरी तरह गलत धारणा है। वास्तव में इनहेलर सबसे सुरक्षित और कम मात्रा में दवा देने वाला उपकरण है। जहां सामान्य दवाइयों में दवा की मात्रा मिलीग्राम में होती है। वहीं इनहेलर में दवा की मात्रा माइक्रोग्राम में होती है, यानी हजार गुना कम। उन्होंने कहा कि इनहेलर और कंट्रोलर दवाएं फेफड़ों की सूजन को कम करती हैं और मरीज को सामान्य जीवन जीने में मदद करती हैं। योग, प्राणायाम और नियमित व्यायाम भी अस्थमा नियंत्रण में उपयोगी हैं। डॉ. दुल्लड़ ने कहा, अस्थमा से डरने की नहीं, बल्कि समझदारी से निपटने की जरूरत है। जागरूकता और अनुशासन ही अस्थमा के खिलाफ सबसे बड़ा हथियार है।











