400 से अधिक नर्सिंग पीएचडी डिग्रियां जारी, आरटीआई में भारतीय नर्सिंग काउंसिल का मान्यता से इनकार
झुंझुनूं । अजीत जांगिड़
चुड़ैला स्थित श्री जगदीशप्रसाद झाबरमल टीबड़ेवाला विश्वविद्यालय ने अब तक 4000 से अधिक पीएचडी डिग्रियां जारी की हैं। जिनमें नर्सिंग विषय की 400 से अधिक डिग्रियां भी शामिल हैं। लेकिन हाल ही में डॉ. सागर सिंह कछावा के आरटीआई के जवाब में भारतीय नर्सिंग परिषद (आईएनसी) ने स्पष्ट कर दिया है कि इस विश्वविद्यालय द्वारा संचालित नर्सिंग पीएचडी कार्यक्रम को कानूनी मान्यता प्राप्त नहीं है। भारतीय नर्सिंग परिषद के अनुसार यह डिग्री भारतीय नर्सिंग काउंसिल अधिनियम, 1947 की धारा 10 के तहत मान्यता प्राप्त नहीं है। यानी इस विश्वविद्यालय से प्राप्त नर्सिंग पीएचडी डिग्री को मान्यता नहीं मिली है, जिसने हजारों छात्रों के भविष्य को अनिश्चितता में डाल दिया है। अभ्यर्थियों ने अपनी डिग्री की वैधता और कॅरिअर विकल्पों को लेकर चिंता व्यक्त की है। क्योंकि मान्यता न मिलने की स्थिति में वे सरकारी सेवाओं, शैक्षणिक कार्य या शोध कार्यों में समस्या का सामना कर सकते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह की डिग्रियां शिक्षा क्षेत्र की गुणवत्ता और विश्वसनीयता को प्रभावित करती हैं। इस मामले में विश्वविद्यालय और संबंधित उच्च शिक्षा नियामक संस्थाओं से इस स्थिति की जांच कर उचित कदम उठाने की मांग की जा रही है। साथ ही, नर्सिंग और अन्य विषयों में डिग्री प्राप्त करने वाले छात्रों से सतर्क रहने और मान्यता सत्यापित करने की अपील की गई है। शिक्षा विभाग द्वारा भी इस संबंध में निगरानी बढ़ाने और जवाबदेही सुनिश्चित करने पर जोर दिया जा रहा है ताकि भविष्य में ऐसी स्थिति से बचा जा सके और छात्रों के हितों की रक्षा की जा सके। यह मामला न केवल विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा को प्रभावित करता है बल्कि पूरे शैक्षणिक तंत्र में विश्वास के मुद्दे को भी उजागर करता है, जिसके लिए ठोस और पारदर्शी कार्रवाई आवश्यक है।