श्री कृष्ण सुदामा की सजीव झांकी ने वातावरण को बनाया भक्तिमय

चिड़ावा।स्थानीय पुराने पोस्ट ऑफिस में चल रही श्रीमद्भागवत कथा में कथा व्यास वाणी भूषण पंडित प्रभुशरण तिवाड़ी ने मनुष्य जीवन के उद्देश्य और आत्मा के स्वरूप पर महत्वपूर्ण विचार साझा किए। उन्होंने स्पष्ट किया कि जिस शरीर को हम अपना समझते हैं। वह वास्तव में हमारा नहीं है। बल्कि यह केवल एक रथ है। जिसकी सारथी हमारी आत्मा है। तिवाड़ी ने भजन जरा जीव विचारों मन मे तेरी आत्मा का कैसा रूप है, ये देह नहीं है तेरी आत्मा तू तो सतचित आनंद रूप है, का उदाहरण देते हुए कहा कि जो कुछ भी हम देख सकते हैं, वह हम नहीं हो सकते। द्रष्टा (देखने वाला) और दृश्य (जो देखा जा रहा है) कभी एक नहीं हो सकते। हमारा शरीर दृश्य है, जबकि हम स्वयं, जो देखने वाले हैं, वह आत्मा हैं। इस प्रकार, यह शरीर हमारा नहीं है, बल्कि हम स्वयं आत्मा हैं। उन्होंने आगे कहा कि आत्मा परमात्मा का अंश है, ठीक उसी तरह जैसे पानी की एक बूंद विशाल समुद्र का अंश होती है। उन्होंने जोर देकर कहा कि मानव जीवन का अंतिम और एकमात्र लक्ष्य भगवान की प्राप्ति है। हमारा शरीर एक रथ की तरह है और हमारी आत्मा इसका सारथी है। इस रथ का उपयोग करके सारथी को भगवान तक पहुंचना है। कथा के दौरान भगवान श्रीकृष्ण और उनके मित्र सुदामा की सजीव झांकी प्रस्तुत की गई। जिसने वातावरण को भक्तिमय बना दिया। मधुर भजनों ने श्रद्धालुओं को भाव-विभोर कर दिया। कथा के समापन पर कथा व्यास वाणी भूषण प्रभुशरण तिवाड़ी का भव्य अभिनंदन और पूजन किया गया। कथा से पूर्व मुख्य यजमान रामावतार शर्मा-कलावती देवी व परिवार के सदस्यों ने आचार्य नरेश जोशी, आमोद शर्मा, विक्रम शर्मा के द्वारा वैदिक मंत्रोच्चार के मध्य भागवत व व्यास पूजन किया। इस दौरान महेंद्र शर्मा, अशोक शर्मा, प्रमोद शर्मा, अनिल शर्मा, वेदप्रकाश, सुशील कुमार, विनोद कुमार लाम्बीवाला, विनोद खंडेलवाल, कमल मोदी, सुरेश खंडेलवाल, मोतीलाल लांबीवाला, सांवरमल गहलोत, रामवतार शर्मा श्योपुरा, ओमप्रकाश कौशिक, योगेंद्र मिश्रा, राजीव शुक्ला, सुभाष लांबीवाला, कमल शर्मा, संजय शर्मा श्योपुरा, गोपाल लाठ, गोपाल सिंह सुलताना, राजेश दायमा, रतनलाल गोयल, सिद्धार्थ शर्मा, अजय शर्मा, फूलचंद भगेरिया, सांवरमल गहलोत, सुभाष धाबाई सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु महिला पुरुष मौजूद रहे।













