भगवान कृष्ण की 16 कलाए दिव्यता और पूर्णता की प्रतीक : कथा वाचक पंडित मुरारी लाल दाधीच

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कृष्ण जन्मोत्सव पर राधा-कृष्ण बने बच्चों ने मोहा मन, कथा वाचक मुरारीलाल दाधीच ने बताया कृष्ण जीवन का दर्शन

चूरू। कुदाल भवन में चल रही श्रीमद भागवत कथा के चौथे दिन आज श्रीकृष्ण जन्मोत्सव की कथा सुनाई गई। इस अवसर पर अनेक नन्ने मुन्ने बच्चो ने कृष्ण और राधिका के रूप में श्रृगांर कर लोगो को भक्तिमय कर दिया। चारों और कृष्ण जन्म पर उल्लास का वातावरण दिखाई दिया। इस अवसर पर उपस्थित श्रृद्वालूओं ने ष्हाथी घोड़ा पालकी जय कन्हैयालाल की का उद्घोष कर श्री कृष्ण जन्म की झांकी को जीवन्त कर दिया। कथा वाचक पंडित मुरारीलाल दाधीच ने भगवान श्रीकृष्ण जन्म की कथा सुनाते हुऐ कहा कि भगवान कृष्ण का जीवन सम्पूर्णता एवम् न्याय प्रियता का अनुपम उदाहरण है। उन्होने कहा कि भगवान कृष्ण की 16 कला दिव्यता और पूर्णता की प्रतीती कराती है। उन्होने भगवान श्री कृष्ण की 16 कलाओं का वर्णन करते हुऐ कहा कि श्रीकृष्ण 16 कलाओं के स्वामी माने जाते है जिसमें धन सम्पति, भू सम्पति, कीर्ति, वाणी की सम्मोहकता, लीला कांति, विधा, धर्म,विवेक, कर्मठता, शक्ति, विनय, सत्य, आदिपत्य, अनुगृह, क्षमता शामिल है। उन्होने कहा कि भगवान कृष्ण की लीलाऐं हमारे भारतीय समाज में शासक और प्रजा के आपसी विश्वास के बारे में बताते है। भगवान कृष्ण ने जीवन के हर एक फलसफे को पूर्णता के साथ जीवन्त किया है। कुरूक्षैत्र संग्राम में दिया गीता का ज्ञान विश्व को हमेशा प्रेरणा देता रहेगा। उन्होने विभिन्न पौराणिक उद्ाहरणो के माध्यम सें बताया कि भारतीय संस्कृति में भक्त और भगवान का रिश्ता हर युग में महत्वपूर्ण रहा है। कृष्ण का अपने मित्र सुदामा के प्रति व्यवहार उनकी उदारता एवम सदासहता को दर्शाता है जिससे प्रतीत होता है कि भारतीय परंपरा में अमीर और गरीब में किसी तरह का भेदभाव नहीं था। उन्होंने कहा कि आज भी इस परंपरा का निर्वहन आवश्यक है। इस अवसर पर विनोद ओझा, कैलाश नौवहाल, योगेश गौड़, गजानंद गौड, पार्षद राकेश दाधीच जयपाल सिह टकणेत, मनोज तंवर, आदित्य पलहोड़, उमेश दाधीच, गुरूदास भारती, रवि दाधीच, शोभाराम बणिरोत, पूर्वसभापति रामगोपाल बहड़, विधाधर कुदाल, रामलाल कुदाल, श्रीप्रकाश कुदाल, महेश कुदाल, उमाशंकर बहड़, गजानंद शर्मा, महेश पलहोड़ सहित अनेक श्रृद्वालू उपस्थित रहे।

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