द्वादश ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के मूर्त स्वरूप – तिवाड़ी

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चिड़ावा।जो निर्विकार होते हुए भी अपनी माया से विराट विश्व का आकर धारण कर लेते है। स्वर्ग और अपवर्ग (मोक्ष) जिनके कृपा के प्रसाद बताए जाते है। योगीजन जिन्हें सदा अपने हृदय के भीतर देखते है। द्वादश ज्योतिर्लिंग उन्हीं भगवान शिव के मूर्त स्वरूप है। पुराणों मे इनकी महिमा का बड़ा बखान है। शिव भक्त इन्हें शिव का ही स्वरूप समझते है। उक्त कथन कथा व्यास वाणीभूषण पंडित प्रभुशरण तिवाड़ी ने सेही कलां के शिवालय मंदिर में चल रही श्री शिव महापुराण कथा में छठे दिवस द्वादश ज्योतिर्लिंग की कथा का वर्णन करते हुए कहे। तिवाड़ी ने कथा के दौरान द्वादश ज्योतिर्लिंग की कथा का विस्तार से वर्णन किया। कथा में भगवान राम के द्वारा रामेश्वरम स्थापना की सजीव झांकी सजाई गई। जिसके दर्शन कर उपस्थित श्रद्धालु महिला पुरुष खूब आनंदित हुए। कथा के दौरान सुमधुर संगीत ने वातावरण को भक्ति रस में भर दिया। कथा के प्रारंभ में यजमान डॉ. जगदीशप्रसाद शर्मा ने आचार्य सियाराम शास्त्री की अगुवाई में सपत्निक शिव महापुराण व व्यास पूजन किया। इस दौरान भागीरथमल शर्मा, डॉ. प्रदीप सुरोलिया बबाई, श्यामसुंदर जांगिड़, पूर्व सरपंच बबाई संगीता शर्मा, हुकमीचंद शर्मा, अरविंद शर्मा, संतोष सिंह शेखावत, मातूसिंह शेखावत, शीशराम गोस्वामी, विजेंद्र जांगिड़, रतिराम महरिया, मनोज नायक, बिहारीलाल शर्मा, हजारीलाल शर्मा, शिवलाल शर्मा, अरुण शर्मा, अशोक शर्मा, संदीप शर्मा सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु महिला पुरुष मौजूद रहे।

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