सतीपुरा ओवरब्रिज पर बीच की दीवार को लेकर भड़का जनआक्रोश

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ग्रामीणों और जागरूक नागरिकों ने जताया विरोध, 29 दिसंबर को महापंचायत की चेतावनी

हनुमानगढ़। हिमांशु मिढ्ढा
सतीपुरा ओवरब्रिज को लेकर लंबे समय से चल रहे विवाद ने शुक्रवार को एक बार फिर तूल पकड़ लिया। पुल के बीचों-बीच बनाई जा रही दीवार के विरोध में ग्रामीणों एवं जागरूक नागरिकों ने मौके पर पहुंचकर विरोध दर्ज कराया। लोगों का कहना है कि यह दीवार यातायात व्यवस्था को सुगम बनाने के बजाय दुर्घटनाओं को न्योता देगी और आमजन के लिए भारी परेशानी का कारण बनेगी।विरोध प्रदर्शन के दौरान वक्ताओं ने कहा कि हनुमानगढ़वासियों की लगभग आठ वर्षों की लंबी प्रतीक्षा और संघर्ष के बाद यह ओवरब्रिज बनकर तैयार होने की कगार पर पहुंचा है, लेकिन अब सरकार और निर्माण एजेंसी द्वारा लिए जा रहे निर्णयों से जनता में भारी रोष है। प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि जिस पुल को राहत और सुविधा का माध्यम बनना था, उसे जानबूझकर “दुर्घटनाओं का मुखिया” बनाया जा रहा है।इस अवसर पर शेर सिंह शाक्य ने तीखे शब्दों में अपनी बात रखते हुए कहा कि आठ वर्ष पहले जब इस पुल का निर्माण कार्य शुरू हुआ था, तब जनप्रतिनिधियों ने बड़े-बड़े वादे किए थे। उस समय कहा गया था कि यह पुल बठिंडा ओवरब्रिज की तर्ज पर बनेगा, पुल के ऊपर चौराहा होगा, जिससे आवागमन सुगम होगा और एक वर्ष में ही पुल बनकर तैयार हो जाएगा। लेकिन वास्तविकता यह है कि आठ वर्ष बीत जाने के बावजूद पुल अब जाकर अंतिम चरण में पहुंचा है।
उन्होंने कहा कि इन आठ वर्षों में आमजन ने भारी परेशानी झेली। निर्माण कार्य के कारण उड़ती धूल-मिट्टी से क्षेत्र में सांस संबंधी बीमारियां बढ़ीं और कई लोग दमे जैसी गंभीर समस्याओं का शिकार हुए। अब जब पुल लगभग बनकर तैयार है, तो बीच में दीवार बनाकर एक नई समस्या खड़ी कर दी गई है।ग्रामीणों ने बताया कि सतीपुरा से संगरिया जाने वाले लोगों को अब पहले सतीपुरा की ओर से पुल पर चढ़ना पड़ेगा, फिर अबोहर साइड उतरकर दोबारा पुल पर चढ़ना होगा। इससे समय, ईंधन और संसाधनों की बर्बादी होगी। साथ ही यातायात का दबाव भी बढ़ेगा। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि यह व्यवस्था न तो व्यावहारिक है और न ही सुरक्षित।ग्रामीणों ने यह भी आशंका जताई कि धुंध के मौसम में जंक्शन की ओर से हाईवे पर आने वाले वाहन चालकों को पुल के बीच बनी दीवार स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देगी, जिससे गंभीर दुर्घटनाएं होना तय है। ऐसे में यह ओवरब्रिज सुविधा के बजाय खतरे का कारण बन सकता है।विरोध के दौरान ग्रामीणों ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि इस मुद्दे को लेकर 29 दिसंबर को महापंचायत आयोजित की जाएगी, जिसमें आगे की रणनीति तय की जाएगी। साथ ही प्रदर्शनकारियों ने पुल निर्माण एजेंसी को मौके पर ही चेतावनी देते हुए बीच में बनाई जा रही दीवार का कार्य रुकवाया। उन्होंने कहा कि जब तक प्रशासन और संबंधित विभाग इस निर्णय पर पुनर्विचार नहीं करते, तब तक दीवार निर्माण का कार्य दोबारा शुरू नहीं किया जाए।ग्रामीणों ने चेताया कि यदि उनकी मांगों को अनसुना किया गया और दीवार का निर्माण फिर से शुरू किया गया, तो आंदोलन को और उग्र किया जाएगा, जिसकी पूरी जिम्मेदारी प्रशासन और निर्माण एजेंसी की होगी।प्रदर्शन के दौरान सरपंच प्रतिनिधि गुरलाल सिंह, पूर्व सरपंच सिद्धार्थ बलिहारा, रामेश्वर बलिहारा, निर्मल सिंह प्रधान, परमजीत सिंह प्रधान, नवनीत सिंह उपप्रधान, गुरदिता सिंह, सुरेंदर बलिहारा, गुरविंदर सिंह बराड़, गुरलाभ सिंह, राकेश मूंड, सुरेंदर मूंड, गुरबख्श सिंह, सुनीता बराड पूर्व डायरेक्टर, भैरो वर्मा बड़ी संख्या में ग्रामीण और स्थानीय नागरिक मौजूद रहे, जिन्होंने एक स्वर में प्रशासन से जनभावनाओं का सम्मान करने और सतीपुरा ओवरब्रिज को दुर्घटना मुक्त बनाने की मांग की।

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