लीलकी गांव में धानक समाज ने मृत्युभोज प्रथा त्यागने का लिया संकल्प

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स्व. बादो देवी के शोक सभा में समाजजनों ने की चर्चा, परिजनों ने जताई सहमति

चूरू। धानक समाज द्वारा सामाजिक कुरीतियों के विरुद्ध लगातार जागरूकता दिखाई जा रही है। इसी क्रम में गांव लीलकी में स्वर्गीय बादो देवी धर्मपत्नी बनवारीलाल बागड़ी के निधन के बाद आयोजित शोक सभा के दौरान मृत्युभोज प्रथा को बंद करने को लेकर विचार-विमर्श किया गया। इस अवसर पर राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सीताराम लुगरिया सहित समाज के अनेक गणमान्य लोग सांत्वना देने पहुंचे। चर्चा के दौरान मृतका के परिजनों ने मृत्युभोज न करने पर अपनी सहमति जताई।समाज के वक्ताओं ने कहा कि मृत्युभोज जैसी परंपराएं आर्थिक और सामाजिक रूप से बोझ डालने वाली हैं तथा इन्हें त्यागकर समाज को सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ना चाहिए। धानक समाज लगातार रूढ़िवादी परंपराओं के बहिष्कार की दिशा में प्रयास कर रहा है, जो सामाजिक सुधार की मिसाल है।इस अवसर पर डॉ. विनोद खटक (पूर्व सरपंच), सोनू सरोहा (सरपंच, मुंदी ताल), बलवीर सिंह धानक (सिरसला), शिवकुमार सरोहा, विकास खन्ना, संदीप लुगरिया, रविंद्र इंदौरा, पेंटर इन्द्र सरोहा, रघुवीर, महावीर, जगदीश, रतनसिंह, रामकिशन, वीरेंद्र, विकास, रविंद्र बागड़ी, प्रभुराम, हरदत, तेजपाल, सोनू, बलवान, महादेव, खिराज, मनीराम सहित बड़ी संख्या में समाजबंधु उपस्थित रहे।

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