सीपीआर जागरूकता कार्यशाला में उमड़ा उत्साह

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हार्ट अटैक के दौरान “हैंड्स-ओनली सीपीआर” से बढ़ाई जा सकती है जीवन बचाने की संभावना, महावीर इंटरनेशनल वीरा सेंटर व इनरव्हील क्लब के संयुक्त तत्वावधान में श्री खुशाल दास विश्वविद्यालय में प्रशिक्षण, प्रतिभागियों ने ली जनसेवा की शपथ

हनुमानगढ़। हिमांशु मिढ्ढा
महावीर इंटरनेशनल वीरा सेंटर हनुमानगढ़ और इनरव्हील क्लब हनुमानगढ़ के संयुक्त तत्वावधान में जंक्शन स्थित श्री खुशाल दास विश्वविद्यालय में सीपीआर जागरूकता कार्यशाला का सफल आयोजन किया गया। कार्यशाला का उद्देश्य आमजन को हार्ट अटैक व कार्डियक अरेस्ट की स्थिति में जीवन बचाने के प्राथमिक तरीकों से अवगत कराना और अधिक से अधिक लोगों को सीपीआर तकनीक सिखाना रहा। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में प्रतिभागियों की उपस्थिति रही और सभी ने गहन रुचि के साथ सीपीआर तकनीक को समझा।कार्यशाला के मुख्य वक्ता हृदय रोग विशेषज्ञ डॉक्टर सुरेश बाजिया रहे, जिन्होंने हार्ट अटैक के समय सीपीआर के महत्व पर विस्तारपूर्वक जानकारी दी। उन्होंने बताया कि कार्डियक अरेस्ट के दौरान मरीज की धड़कन बंद होने पर “हैंड्स-ओनली सीपीआर” तकनीक जीवन रक्षक साबित हो सकती है, क्योंकि इससे मेडिकल सहायता मिलने तक शरीर में ऑक्सीजन और रक्त परिसंचरण बनाए रखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि भारत में लगभग 70% कार्डियक अरेस्ट के मामले अस्पताल से बाहर होते हैं, जहां तुरंत इलाज उपलब्ध नहीं हो पाता। ऐसे में आसपास मौजूद व्यक्ति द्वारा सीपीआर देना मरीज की जान बचाने की संभावना कई गुना बढ़ा देता है।कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विश्वविद्यालय संस्थापक बाबूलाल जुनेजा, सेवानिवृत्त आईजी गिरीश चावला, श्याम वीर सिंह और विश्वविद्यालय चेयरमैन दिनेश जुनेजा थे। उन्होंने इस सराहनीय पहल को समाज सेवा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण बताया और ऐसी कार्यशालाओं को समय की आवश्यकता बताते हुए अधिक से अधिक लोगों तक जागरूकता पहुंचाने पर जोर दिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता वीर केंद्र अध्यक्ष कंचन गुप्ता और इनरव्हील क्लब अध्यक्ष मीना गर्ग ने की।आयोजन समिति अध्यक्ष कंचन गुप्ता ने बताया कि कार्यशाला का प्रमुख उद्देश्य हर घर, स्कूल, दफ्तर और सार्वजनिक स्थल पर कम से कम एक व्यक्ति ऐसा हो, जो सीपीआर देना जानता हो। उन्होंने कहा कि जीवन रक्षा के लिए किसी भी व्यक्ति का प्रशिक्षित होना अमूल्य है क्योंकि आपातकाल के क्षणों में उपचार से पहले किए गए प्रयास ही नए जीवन की शुरुआत साबित हो सकते हैं।कार्यक्रम में विशेषज्ञों द्वारा लाइव डेमो दिया गया, जिसमें प्रतिभागियों को व्यावहारिक तौर पर छाती पर सही गति और सही दबाव के साथ कम्प्रेशन देने की विधि समझाई गई। प्रशिक्षकों ने बताया कि प्रति मिनट लगभग 100 कम्प्रेशन देकर और आवश्यकता पड़ने पर रेस्क्यू ब्रीदिंग करके मस्तिष्क व अन्य अंगों तक ऑक्सीजन की आपूर्ति बनाए रखी जा सकती है, जिससे सहायता आने तक मरीज के जीवित रहने की संभावना बनी रहती है।कार्यक्रम के अंत में सभी प्रतिभागियों ने सीपीआर जागरूकता फैलाने और दूसरों को प्रशिक्षित करने की शपथ ली। इनरव्हील क्लब अध्यक्ष मीना गर्ग ने भविष्य में भी ऐसे जनकल्याणकारी कार्यक्रम निरंतर आयोजित करते रहने का संकल्प व्यक्त किया

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