एआईएटीएफ चेयरमैन एमएस बिट्टा का बड़ा बयान

0
16

वकील साहिबानों को राष्ट्र, मानवता, मातृभूमि के मुद्दे पर लक्ष्मण रेखा खींचनी होगी

झुंझुनूं। अजीत जांगिड़
ऑल इंडिया एंटी-टेररिस्ट फ्रंट यानि कि एआईएटीएफ के चेयरमैन एमएस बिट्टा ने झुंझुनूं में शुक्रवार को बड़ा बयान देते हुए कहा कि वे ना तो बम से हारे, ना गोली से हारे और ना ही कोर्ट में हारे। लेकिन देश के राजनैतिक आतंकवाद से हार गए है। उन्होंने किसी पार्टी का खुलकर नाम तो नहीं लिया। लेकिन कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि उन पर हुए हमले के आरोपियों को फांसी की सजा से बचाने के बाद कपिल सिब्बल को कानून मंत्री और केटीएस तुलसी को कांग्रेस ने राज्य सभा में भेजा। जिससे साफ है कि वोटों के खातिर देश को तबाह किया जा रहा है। चेयरमैन एमएस बिट्टा ने दिल्ली बम ब्लास्ट के मामले में शामिल आतंकवादियों को फांसी की सजा देने की मांग की है। उन्होंने कहा कि जैसे मैं राजनैतिक आतंकवाद से हारा हूं। ऐसे दिल्ली ब्लास्ट के मृतक परिवारों और पीड़ितों को 32 साल में नहीं, बल्कि एक साल में ही न्याय मिलना चाहिए। उनहोंने कहा है कि वे ना तो बमों से हारे, ना गोलियों से हारे, ना आतंकवाद से डरे, ना आईएसआई से डरे और ना ही मौत से डरे। लेकिन राजनैतिक आतंकवाद से हार भी गए और डर भी गए है। उन्होंने कहा कि दिल्ली ब्लास्ट के आरोपियों को फांसी की सजा मिले और कपिल सिब्बल, मुकुल रस्तोगी जैसे वकील आतंकवादियों की वकालत करने कोर्ट में ना जाए।

देश के साथ गद्दारी करने वालों की सजा सिर्फ और सिर्फ फांसी

ऑल इंडिया एंटी-टेररिस्ट फ्रंट चेयरमैन एमएस बिट्टा ने झुंझुनूं में कहा कि उन पर 32 साल पहले हमला हुआ था। जिसमें कई लोग मारे गए और कई घायल हुए। उन्होंने खून पसीने से कमाए हुए करोड़ों रूपए खर्च कर आरोपियों को फांसी दिलवाई। लेकिन कुछ आरोपियों को उनके ही आतंकवादी एक केबिनेट मंत्री के बेटे को बंधक बनाकर छुड़वाकर ले गए। यह काम करने वाले कांग्रेस के पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह थे। तो एक को अब तेग बहादुर की जयंती के दिन छोड़ने की चर्चा हो रही है। आतंकवादियों को फांसी से बचाने वाले कपिल सिब्बल को कांग्रेस कानून मंत्री बना देती है। एक दूसरे वकील केटीएस तुलसी को राज्य सभा में भेजा जाता है। कपिल सिब्बल, केटीएस तुलसी और मुकुल रस्तोगी, ऐसे वकील है। जिनकी एक बार की फीस ही 15 से 25 लाख रूपए है। इन्हें फंडिंग भी विदेशों से होती है। आईएसआई करता है और गुरूद्वारा प्रबंधन कमेटियां करती है। इसलिए आम आदमी को कैसे इंसाफ मिलेगा। देश में राजनैतिक इच्छा शक्ति की जरूरत है। पुलिस और हमारी अन्य एजेंसियां आतंकवादियों को विदेशों से पकड़कर लाती है। कोर्ट उन्हें सजा सुनाते है। लेकिन जब कसाब और अफजल को फांसी होने लगती है तो आधी रात को सुप्रीम कोर्ट खुलवाया जाता है। ऐसे में पुलिस, एजेंसिया और जज क्या कर सकते है। इसलिए वकीलों को यह समझना होगा कि जब राष्ट्र का सवाल हो, मानवता का सवाल हो, मातृभूमि का सवाल हो और आतंकवाद की बात हो तो हमें लक्ष्मण रेखा खींचनी होगी। पाकिस्तान के इशारों पर होने वाली आतंकी घटनाओं में शामिल आतंकवादियों के लिए आधी रात को सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट ना खुलवाएं। उनकी पैरवी ना करे और सजा सुनाए। उन्होंने कहा कि वोटों के चक्कर में देश को तबाह किया जा रहा है। पंजाब में इलेक्शन है तो सिक्ख को छोड़ दो। कसाब को छोड़ दो। अफजल को छोड़ दो। उन्होंने कहा कि अब तेग बहादुर की जयंती पर 32 साल पुराने दिल्ली हमले के आरोपी को छोड़ने की बात हो रही है। जो नहीं होना चाहिए। देश के साथ गद्दारी करने वालों की सजा सिर्फ और सिर्फ फांसी होनी चाहिए।

इंटेलिजेंस फेल होती तो एक जगह नहीं, कई जगह होते ब्लास्ट

झुंझुनूं दौरे पर रहे ऑल इंडिया एंटी-टेररिस्ट फ्रंट के चेयरमैन एमएस बिट्टा ने कहा कि दिल्ली हमला पाकिस्तान की बौखलाहट है। पुलवाला हमले का जवाब हिंदुस्तान ने पाकिस्तान में घुसकर दिया था। जब पाकिस्तान सिंदूर हमले को रोक नहीं पाया और सामना नहीं कर पाया। तो वह रोजाना नई नई साजिश रच रहा है। लेकिन इन साजिश में शामिल हिंदुस्तान के गद्दारों के खिलाफ आपरेशन चलाने की जरूरत है। जो भारत मां का नमक खाकर, इसी मिट्टी में पैदा होकर भारत के साथ धोखा देते है। हिंदुस्तान विश्व शक्ति बनता जा रहा है। इसलिए पाकिस्तान का साथ दूसरे देश भी दे रहे है। उन्होंने इंटेलिजेंस फेलियोर पर भी गुस्सा जाहिर करते हुए कहा कि हम अपने देश की फोर्सेज को कमजोर साबित करने में लगे हुए है। यदि इंटेलिजेंस का फेलियोर होता तो फरीदाबाद में आरडीएक्स जब्त नहीं होती और दिल्ली जैसे 25 से 30 जगह अलग—अलग ब्लास्ट होते। उन्होंने कहा कि इंटेलिजेंस फेलियोर की चर्चा करने वाले खुद पहले बगैर वर्दी के पुलिस और फौजी बनें।

कुछ राजनैतिक दलों के खिलाफ देश में गुस्सा

ऑल इंडिया एंटी-टेररिस्ट फ्रंट के चेयरमैन एमएस बिट्टा ने किसी भी पार्टी का नाम लिए बगैर कहा कि देश में नरेंद्र मोदी के खिलाफ गुस्सा नहीं है। उन्होंने अपना जीवन भारत को समर्पित कर दिया है। लेकिन पाकिस्तान, आईएसआई के खिलाफ गुस्सा है। जो ये साजिश रचते है। ऐसी राजनैतिक पार्टियों के खिलाफ भी गुस्सा है जो हमारी फोर्सेज को लेकर सवाल उठाती है और आतंकवादियों को बचाने के लिए वकील खड़े करती है। ऐसे वकीलों के खिलाफ भी गुस्सा है जो आतंकवादियों को बचाने के लिए कोर्ट में पैरवी करते है। अब वक्त आ गया है कि देश के सभी राजनैतिक दल आतंकवाद के खिलाफ एक मंच पर आकर पूरे विश्व को बता दें कि हम आतंकवाद के मसले पर एक है और भारत में किसी भी राजनैतिक दल में आतंकवाद के खिलाफ अलग—अलग मत नहीं है। आपको बता दें कि बिट्टा हरियाणा से सीकर जाते वक्त, कुछ देर के लिए झुंझुनूं सर्किट हाउस रूके थे। बिट्टा, पूरी सुरक्षा के साथ झुंझुनूं पहुंचे थे।

SIR दबाव, गैर-शैक्षणिक कार्यों से मुक्ति और शिक्षक मुकेश जांगिड़ को न्याय की मांग को लेकर सौंपा ज्ञापन

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here