‘सरकारी लूट’ करने के लिए सक्रिय हुए ‘मुआवजा माफिया’

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नेशनल हाइवे की मई में तैयार सर्वे रिपोर्ट हुई लीक?, गजट नोटिफिकेशन और ड्रोन सर्वे से पहले हो गए धड़ाधड़ निर्माण

झुंझुनूं । अजीत जांगि​ड़
जैसलमेर से लेकर हरियाणा के रेवाड़ी तक करीब 850 किलोमीटर का नेशनल हाइवे बन रहा है। जिसका झुंझुनूं से लेकर हरियाणा बॉर्डर पचेरी तक निर्माण जल्द शुरू होने वाला है। लेकिन इस हाइवे की सर्वे रिपोर्ट ही लीक हो गई। जिसके कारण मुआवजा माफिया नेशनल हाइवे आथिरिटी से सरकारी लूट के लिए पूरी तरह तैयार हो गए है। जी, हां झुंझुनूं नगर परिषद एरिया की करीब सवा दो किलोमीटर सड़क पर ही दो माह में पांच दर्जन से अधिक निर्माण हो गए है। जो सिर्फ उन्हीं जगहों पर हो रहे है। जहां से हाइवे निकलना है। इसके पास पड़ौस का इलाका आज भी वीरान है। आप जो फोटो देख रहे है। वो है झुंझुनूं नगर परिषद एरिया की। जहां पर एक निश्चित जगहों पर लंबे चौड़े निर्माण दिख रहे है। यह कोई ईंट, सीमेंट से बने भवन नहीं। बल्कि लोहे के एंगल पर प्लाई से बनाए गए वो निर्माण है। जिन पर रंग रोगन कर इसे पक्का निर्माण बताकर झुंझुनूं के मुआवजा माफिया नेशनल हाइवे आथिरिटी से पांच गुना तक मुआवजा लेने का पूरा प्लान कर चुके है। दरअसल यह संभव हुआ नेशनल हाइवे से जुड़े अधिकारियों की मिलीभगत से। जिन्होंने इन माफियाओं के हाथों में सर्वे रिपोर्ट सौंप दी। इन माफियाओं ने जहां से हाइवे गुजरना है। वहां जमीनें खरीदी और यह अस्थायी निर्माण शुरू कर दिया। वो भी नेशनल हाइवे के ड्रोन सर्वे के दो महीने पहले से ही। दरअसल झुंझुनूं से पचेरी तक नेशनल हाइवे की सड़क का निर्माण होना है। लेकिन एन वक्त पर नेशनल हाइवे के अधिकारियों ने झुंझुनूं से निकलने वाली रोड को बगड़ बीड़ की बजाय बाइपास का प्रपोजल मिनिस्ट्री को भेज दिया। मिनिस्ट्री ने वन विभाग की क्लियरेंस और कोस्टिंग के चक्कर में नए अलाइमेंट को मंजूरी दे दी और यहीं से मुआवजा का खेल शुरू हो गया।

कोस्टिंग के चक्कर में बदला था अलाइमेंट, लेकिन अब यही पड़ सकता है ‘महंगा’

आइए, अब इस पूरे खेल को समझते है। पहले यह हाइवे बगड़ बीड़ से होकर निकलना था। लेकिन रिपोर्ट भेजी गई कि वन विभाग से क्लियरेंस में देरी हो सकती है और वन विभाग से जितनी जमीन ली जाएगी। उन्हें उतनी ही जमीन देनी होगी। जिससे कोस्टिंग बढ जाएगी। इसलिए मई में सर्वे किया गया। सर्वे के बाद यह बगड़ बीड़ की बजाय पड़ौस के गांवों से होकर निकालने की रिपोर्ट तैयार की गई। जिन गांवों से रोड निकलनी है। उसकी गजट नोटिफिकेशन जुलाई में जारी किया गया। इसी नोटिफिकेशन के बाद मुआवजा माफिया सक्रिय हो गए। जिन्होंने अधिकारियों से सांठ—गांठ करके गांवों के जिस खसरे से हाइवे बनना था। वो रिपोर्ट गजट नोटिफिकेशन से पहले प्राप्त की और इस जमीन को किसानों से औने—पौने दामों में खरीद कर उन पर अगस्त के अंतिम सप्ताह से तो काम ही शुरू कर दिया। नेशनल हाइवे खसरा नंबरों का गजट नोटिफिकेशन जारी करता। उससे पहले तो अकेले झुंझुनूं नगर परिषद एरिया की सवा दो किलोमीटर रोड पर पांच दर्जन से अधिक निर्माण हो चुके थे। खसरा नंबर का नोटिसफिकेशन 27 अक्टूबर को जारी किया गया। वहीं ड्रोन सर्वे नवंबर के पहले सप्ताह में किया गया। इससे पहले तो बड़े बड़े अस्थायी निर्माण बना ही लिए गए। इस मामले में नेशनल हाइवे के एक्सईएन अनुज चाहर ने बताया कि ड्रोन सर्वे में आने वाले निर्माणोंं को दोगुना तक मुआवजा दिया जाएगा। लेकिन मुआवजा माफिया विभिन्न कानूनों की मदद से पांच गुना तक मुआवजा लेने के लिए तैयारी किए हुए बैठे बताए।

कलेक्टर ने टीम लगाई, लेकिन अब देर हुई

जब मामला सुर्खियों में आया तो जिला कलेक्टर डॉ. अरूण गर्ग ने भी अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी। लेकिन सर्वे रिपोर्ट लीक होने के बाद नेशनल हाइवे कानून के अनुसार अपना काम कर चुके मुआवजा माफियाओं के आगे अब कलेक्टर डॉ. अरूण गर्ग की सक्रियता भी काम नहीं आने वाली। ड्रोन सर्वे नवंबर के पहले सप्ताह में हुआ। इससे पहले निर्माण हो चुके है। डॉ. गर्ग ने बताया कि उन्होंने अधिकारियों को ड्रोन सर्वे की रिपोर्ट को फ्रीज करने के निर्देश दिए है। साथ ही नेशनल हाइवे आथिरिटी, तहसीलदार और नगर परिषद को निर्देश दिए है कि वे इलाकों का समय—समय पर दौरा कर निर्माण ना करने और निर्माण रूकवाने की कार्रवाई करें। उन्होंने कहा कि यह स्पष्ट है कि ड्रोन सर्वे के बाद के निर्माण का कोई मुआवजा नहीं मिलेगा।

सर्वे रिपोर्ट लीक हुई, तभी मुआवजा माफियाओं ने कर दिया खेला

नेशनल आथिरिटी की सर्वे रिपोर्ट समय से पहले ही लीक हुई है। यह इस बात से स्पष्ट है कि जो भी निर्माण हुए है। वो सिर्फ उन्हीं खसरों की उतनी ही जगह पर हुआ है। जहां से हाइवे का निर्माण होना है। जो जमीन अधिग्रहण की जानी है। उसी जमीन पर निर्माण हुआ है। अन्य जगह अभी भी पहले की तरह खाली है। साथ ही निर्माण में सिर्फ लोहे के एंगल, प्लाई आदि का उपयोग लिया गया है। साथ ही इस पर ऐसा कलर करवाया गया है। जो दूर से किसी पक्के मकान की तरह दिखता है। इससे यह भी साफ है कि नेशनल आथिरिटी के आस्तीन के सांपों की मिलीभगत के बाद ही सरकारी लूट का यह प्लान बनाने में मुआवजा माफिया कामयाब रहे है। बहरहाल, अब देखने वाली बात यह होगी कि किस तरह मुआवजा माफिया अपने लगाए हुए पैसों का पांच गुना करने के लिए खेल खेलते है या फिर प्रशासन कदम उठाकर इनके प्लानों को पानी में मिलाता है।

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