झुंझुनूं । अजीत जांगिड़
स्थानीय श्री राधेश्याम आर मोरारका राजकीय महाविद्यालय में सोमवार को शोध एवं विकास प्रकोष्ठ तथा वनस्पति शास्त्र विभाग के संयुक्त तत्वावधान में वार्षिक कार्यशाला ट्री टॉक 3.0 का आयोजन किया गया। कार्यशाला की विधिवत शुरूआत मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्जवलन कर की गई। कार्यक्रम के दौरान मुख्य अतिथि जिला कलेक्टर डॉ. अरूण गर्ग ने अपने उद्बोधन में पौधों के औषधीय महत्वों, आयुर्वेद में समाहित औषधीय गुणों, देशज वनस्पतियों के पारम्परिक ज्ञान को आमजन तक पहुंचाने में ऐसे सार्थक प्रयासों की सराहना करते हुए इनके महत्व को अधिकाधिक जनप्रभावी बनाने के लिए प्रेरित किया। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता डॉ. रविप्रकाश आयुर्वेदाचार्य ने अपने विस्तृत व्याख्यान में औषधीय पादपों के संकलित ज्ञान एवं उनकी व्यावहारिकता तथा भावी संभावनाओं में सभी के योगदान को साझा किया। अपने संबोधन में डॉ. रविप्रकाश ने विभिन्न आयुर्वेदिक पद्धतियों, पीढ़ी दर पीढ़ी संप्रेषित होने वाले विभिन्न औषधीय पादपों को उदाहरणों के माध्यम से अवगत करवाया। संबोधन की इसी कड़ी में सहायक वन संरक्षक झुंझुनूं हरेंद्र भाकर ने जिले में संचालित वन पौधशालाओं में उपलब्ध औषधीय पादपों के बारे में जानकारी देते हुए उनके संरक्षण पर बल दिया। कार्यक्रम संयोजक प्रो. मंजू चौधरी ने कार्यशाला के द्वारा आमजन एवं विद्यार्थियों को दी जाने वाली औषधीय महत्व संबंधी जानकारियां एवं पादपों के परंपरागत औषधीय ज्ञान की महत्ता से अवगत कराया। महाविद्यालय प्राचार्य प्रो. सुरेंद्र सिंह ने अपने संबोधन द्वारा समाज को पादपों की औषधीय उपयोगिता एवं वनस्पतियों के बहुआयामी स्वास्थ्य लाभों को अधिकाधिक जानने एवं संप्रेषण के लिए प्रेरित किया। कार्यशाला के साथ ही सोमवार को महाविद्यालय में वनस्पति शास्त्र विभाग के विद्यार्थियों द्वारा औषधीय महत्व के पादपों पर एक प्रदर्शनी का आयोजन भी किया गया। जिसमें क्षेत्र में मिलने वाले 100 से अधिक औषधीय पौधों का सजीव प्रदर्शन किया गया। कार्यशाला एवं प्रदर्शनी में अतिथियों, संकाय सदस्यों एवं विभिन्न महाविद्यालयों के विद्यार्थियों ने भाग लेकर औषधीय पौधों के पारम्परिक ज्ञान को जाना। वरिष्ठ संकाय सदस्य प्रो. हरिराम आलड़िया द्वारा धन्यवाद ज्ञापित किया। मंच संचालन डॉ. आकांक्षा डूडी एवं डॉ. बरखा सिंह द्वारा किया गया।










