मानवता, संवेदना और चिकित्सा सेवा का अनूठा उदाहरण दिखा
झुंझुनूं । अजीत जांगिड़
हाल ही में झुंझुनूं जिले के सूरजगढ़ विधानसभा क्षेत्र के जाखोद में मानसिक स्वास्थ्य से पीड़ित जोकरमल मेघवाल, जो लंबे समय से बीमारी के कारण जंजीरों में जकड़ा हुआ जीवन जी रहा था। अब एक सम्मानजनक और स्वतंत्र जीवन की ओर बढ़ रहा है। राजकीय जिला बीडीके अस्पताल के पीएमओ डॉ. जितेंद्र भांबू ने इस मामले की गंभीरता को समझते हुए एक विशेष मेडिकल टीम का गठन किया। इस टीम में डॉ. कपूर थालौर वरिष्ठ मनोरोग विशेषज्ञ, रतन टेलर वरिष्ठ नर्सिंग अधिकारी, नरेश एम्बुलेंस ड्राइवर शामिल थे। टीम ने गांव पहुंचकर जोकरमल मेघवाल की स्वास्थ्य स्थिति का गहन निरीक्षण किया। मरीज की मानसिक हालत देखते हुए तुरंत उसे जंजीरों से मुक्त किया गया, जो वर्षों से उसका जीवन कैद कर रही थीं। मरीज को आजाद करने के बाद टीम ने न केवल उसका इलाज शुरू किया। बल्कि मानवीय गरिमा की बहाली की ओर भी कदम उठाए। जोकरमल की बाल और दाढ़ी की कटिंग करवाई गई। स्नान करवा कर साफ-सुथरे कपड़े पहनाए गए। भरपेट भोजन कराया गया और उसके बाद उपयुक्त दवाइयां दी गई। इसके साथ ही, मरीज की स्थायी देखभाल को ध्यान में रखते हुए दिव्यांग प्रमाण पत्र भी जारी किया गया। जिससे वह सरकारी योजनाओं का लाभ उठा सके। एक और हृदयस्पर्शी पल तब आया जब जोकरमल मेघवाल ने दीपावली के अवसर पर मां लक्ष्मी की पूजा की, दिया जलाया और आरती बोली। यह क्षण न केवल उनके परिवार, बल्कि पूरे गांव के लिए अत्यंत भावुक और प्रेरणादायक था। गांव की आशा सहयोगिनी उषा को मरीज को नियमित दवा देने की जिम्मेदारी सौंपी गई। ग्राम सरपंच सुनिल ने मरीज को रजाई भेंट की और आश्वासन दिया कि प्रशासन की ओर से हर संभव सहयोग दिया जाएगा। जोकरमल मेघवाल की यह कहानी केवल एक मरीज की नहीं, बल्कि उस सामाजिक बदलाव की मिसाल है, जो संवेदना, चिकित्सा और सामुदायिक सहयोग से संभव होता है। यह पहल इस बात का जीता-जागता प्रमाण है कि यदि सरकार, चिकित्सा तंत्र और समाज एकजुट होकर प्रयास करें, तो हर जोकरमल को जंजीरों से मुक्ति दिलाकर जीवन की रोशनी दिखाई जा सकती है।