सारस साहित्य संस्थान द्वारा नगरश्री, चूरू में हुआ आयोजन; उस्तादों की मौजूदगी में ग़ज़ल पर हुई गंभीर चर्चा
चूरू। सारस साहित्य संस्थान के तत्वावधान में नगरश्री, चूरू में एक साहित्यिक कार्यक्रम ‘ग़ज़ल की बाबत’ का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ ग़ज़लकार उस्ताद बनवारी लाल ‘ख़ामोश’ ने की, जबकि उस्ताद इदरीस राज़ खत्री मुख्य अतिथि के रूप में मंचासीन रहे।कार्यक्रम की शुरुआत सरस्वती वंदना से हुई, जिसके पश्चात संस्थान के संस्थापक बुद्धमल सैनी ने सभी अतिथियों और प्रतिभागियों का स्वागत किया। इसके बाद देश के विभिन्न भागों से प्राप्त ग़ज़लकारों के विचारों को पत्रों के माध्यम से साझा किया गया। रूड़की (उत्तराखंड) से के.पी. अनमोल तथा कोटा से डॉ. पुरुषोत्तम ‘यकीन’ के पत्रों का वाचन कर ‘ग़ज़ल क्या है?’ विषय पर रोशनी डाली गई।कार्यक्रम में चूरू के ग़ज़लकारों ने ग़ज़ल के विभिन्न पक्षों पर अपने विचार व्यक्त किए। अब्दुल मन्नान ‘मज़हर’ ने ग़ज़ल की सरगम और बह्र को समझने पर ज़ोर दिया,मुकेश मनमौज़ी ने ग़ज़ल को ‘थाली’ की उपमा दी,मनमीत सोनी ने इसे अनुशासन का लेखन बताया, जबकि शोएब अली ने ग़ज़ल के सफर पर प्रकाश डाला।
भादरा से आए वरिष्ठ ग़ज़लकार पवन शर्मा ने कहा कि चूरू ग़ज़ल की उर्वर ज़मीन है, यहां के युवा उस्तादों की संगत में आगे बढ़ेंगे। मुख्य अतिथि उस्ताद इदरीस राज़ खत्री ने कहा कि जिसके दिल में आग होती है, वही सीखता है।वहीं अध्यक्ष बनवारी लाल ‘ख़ामोश’ ने सीखने में वफ़ादारी और समर्पण की आवश्यकता पर बल दिया।कार्यक्रम के अंत में दीपक कामिल ने आभार प्रकट किया एवं मंचासीन उस्तादों को दुसाला ओढ़ाकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में अनेक साहित्यप्रेमी उपस्थित रहे जिनमें इमरान आतिफ़, अनूप ‘बेबाक’, विजयकान्त, डॉ. विभा पारीक, गीता रावत, विनिता स्वामी, अनुराधा, शैलेन्द्र माथुर, रमेश सोनी, मनीष, संदीप, शमशेर भालू ख़ां सहित बडी संख्या में ग़ज़लप्रेमी उपस्थित रहे।कार्यक्रम का संचालन कुमार अनिल ‘रजन्यंश’ ने किया।