श्रीमद् भागवत कथा में श्रीकृष्ण की लीलाओं का हुआ सजीव वर्णन, भक्तिमय हुआ वातावरण

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चूरु में झारिया मोरी के पास चल रही सात दिवसीय कथा में डॉ. मनोज मोहन शास्त्री ने किया कंस वध, मथुरा गमन से लेकर द्वारका निर्माण तक का विस्तृत वर्णन, कथा में सहयोग करने वाले कार्यकर्ताओं को किया सम्मानित

चूरु। झारिया मोरी के पास मंत्रियों की छतरी में चिमनाराम मंत्री चौरिटी ट्रस्ट द्वारा आयोजित सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा में सोमवार को कथावाचक डॉ मनोज मोहन शास्त्री महाराज ने नंद बाबा के एकादशी व्रत कथा, सभी ग्वाल बाल को श्री कृष्णा का ईश्वर दर्शन करना, बंशीनाद, महारास पंचाध्यायी एवं कंस के आदेश पर अंकुर का वृंदावन आगमन तथा श्री कृष्णा को मथूरा जाकर धनुष भंग कवलापीड हाथी, मुषि़ट के चाणूर कंस आदि का उद्धार वसुदेव देवकी को कारागार से मुक्त करवा कर महर्षि संदीपन आश्रम में 64 दिन 64 जल ग्रहण करके जरासंध को पराजित करके काले वन का उद्घार द्वारिकापुरी निर्माण में रुक्मणी विवाह का प्रसंग सुनाया। इसी के साथ मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा यज्ञ में जनार्दन आचार्य महाराज एवं विद्वान ब्राह्मणो के सानिध्यम वैदिक मंत्रोच्चार के द्वारा मोतियों का निष्ठा न्नाधिवास मेवाधिवास करवाया गया। मंगलवार को कथा में सुदामा प्रसंग शुक्र देव प्रस्थान एवं कथा का विश्राम होगा। इस अवसर पर कथावाचक मनोज मोहन षास्त्री ने भागवत कथा में योगदान देने वाले को षॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में महिलाएं व पुरूष उपस्थित थे।

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