झुंझुनूं । अजीत जांगिड़
सर्वहार एकता मंच झुंझुनू द्वारा शहीद-ए-आजम भगत सिंह की जयंती के अवसर पर आयोजित ऐतिहासिक समारोह में सद्भावना लोक फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ. सागर सिंह कछावा ने युवाओं और समाज के सामने शिक्षा व्यवस्था की गंभीर चुनौतियों को उजागर करते हुए अन्याय के खिलाफ संघर्ष का आह्वान किया। डॉ. कछावा ने अपने वक्तव्य में कहा कि आज देश के अनेक निजी शिक्षण संस्थान डिग्री के व्यापार केंद्र बन गए हैं। युवा पीढ़ी ऐसी शिक्षा के साथ आगे बढ़ने को विवश है। जिसमें ना दक्षता है, ना समाज और राष्ट्र निर्माण की शक्ति। उन्होंने जिले के एक प्रमुख निजी विश्वविद्यालय की अनियमितताओं की ओर इशारा करते हुए कहा कि जब डिग्रियों का व्यापार होने लगे और शिक्षा व्यवस्था बाजार की वस्तु बन जाए, तो उसका प्रभाव पूरे समाज और राष्ट्र पर पड़ता है। डॉ. कछावा ने शहीद-ए-आज़म भगत सिंह का उल्लेख करते हुए कहा, भगत सिंह ने शिक्षा को केवल नौकरी या निजी लाभ का साधन नहीं, बल्कि विवेक, जिम्मेदारी और समाज सुधार का जरिया बताया था। वे बार-बार चेताते थे कि अगर शिक्षा व्यवस्था युवाओं में जागृति और बदलाव की सोच न पैदा करे, तो ऐसा शिक्षा तंत्र निकम्मा और समाज के लिए खतरनाक है। आज भगत सिंह के विचार अधिक प्रासंगिक हो गए हैं, जब शिक्षा का व्यापारीकरण चरम पर है। समारोह में उपस्थित युवाओं और नागरिकों ने भगत सिंह के विचारों को अपने जीवन में उतारने का प्रण लिया। डॉ. कछावा ने कहा कि अन्याय के विरुद्ध संघर्ष कभी नहीं रुकेगा। शिक्षा का उद्देश्य राष्ट्र निर्माण, संस्कृति और सामाजिक चेतना को मजबूत करना होना चाहिए, न कि केवल डिग्री बांटना। कार्यक्रम में भगत सिंह जी के जीवन और आदर्शों पर आधारित विचार गोष्ठी, समाज के विविध वर्गों की भागीदारी और सद्भावना लोक फाउंडेशन की ओर से शिक्षा में शुचिता की मांग को सर्वसम्मति से समर्थन मिला। समाज के लिए संदेश देते हुए डॉ. कछावा और आयोजकों ने कहा कि शहीद भगत सिंह की प्रेरणा अब भी जीवित है; अन्याय के खिलाफ आवाज उठाना और सही शिक्षा का मार्ग चुनना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि है।