डॉ. सागरसिंह कच्छवा ने आरटीआई से मांगी जानकारी
झुंझुनूं । अजीत जांगिड़
चुड़ैला स्थित श्री जगदीशप्रसाद झाबरमल टीबड़ेवाला विश्वविद्यालय में अनियमितताओं के आरोप और गहराते जा रहे हैं। खबर है कि विश्वविद्यालय के कई प्रशासनिक अधिकारियों ने मूल्यांकन प्रक्रिया को प्रभावित कर अपने और परिजनों के नाम पर डिग्रियां जारी करवा लीं। इस पर से पर्दा उठाने के लिए सद्भावना लोक फाउंडेशन के अध्यक्ष एवं प्रोफेसर डॉ. सागरसिंह कच्छवा ने सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के तहत आवेदन दाखिल किया है। आवेदन में उन्होंने वर्ष 2015 से अब तक नियुक्त सभी प्रशासनिक व शैक्षणिक अधिकारियों की नामावली, पदनाम, कार्यकाल और उनके द्वारा प्राप्त डिग्रियों का पूरा ब्यौरा मांगा है। साथ ही इन अधिकारियों के शैक्षणिक प्रमाणपत्रों और विश्वविद्यालय द्वारा जारी डिग्रियों की सत्यापित प्रतियां भी उपलब्ध कराने को कहा है। डॉ. कच्छवा ने यह भी पूछा है कि विश्वविद्यालय की वह कौन-सी नीतियां और नियम हैं जिनके आधार पर कोई अधिकारी या कर्मचारी अपने कार्यकाल के दौरान विश्वविद्यालय से डिग्री प्राप्त कर सकता है। सभी जानकारी हार्ड कॉपी के साथ-साथ डिजिटल प्रारूप (पीडीएफ/स्कैन) में देने की मांग की गई है। उनका कहना है कि यह पहल शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता और जवाबदेही लाने के उद्देश्य से की गई है। यदि जानकारी अपूर्ण या विलंबित मिलती है तो वे प्रथम अपील का अधिकार भी सुरक्षित रखते हैं। गौरतलब है कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) पहले ही यह उजागर कर चुका है कि वर्ष 2016 से 2020 तक कई डिग्रियां बिना उचित प्रक्रिया और जांच के जारी हुईं। इसी आधार पर फरवरी 2024 में विश्वविद्यालय के पीएचडी कार्यक्रम में पांच वर्ष के लिए नए प्रवेश पर रोक लगा दी गई थी। छात्र समुदाय और शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि डॉ. कच्छवा का यह कदम विश्वविद्यालय की कार्यप्रणाली पर से पर्दा हटाने के साथ-साथ शिक्षा व्यवस्था में सुधार का मार्ग भी प्रशस्त करेगा। अब निगाहें विश्वविद्यालय प्रशासन पर हैं कि वह इस आरटीआई आवेदन का क्या जवाब देता है।