झुंझुनूं । अजीत जांगिड़
ढिगाल गांव के शहीद नायब सुबेदार नत्थू सिंह बिशू के शहीद स्मारक पर प्रतिवर्ष की तरह इस बार भी रक्षाबंधन पर बहन भगवती देवी महला ने अपने शहीद बड़े भाई के रक्षाबंधन पर कलाई पर बांधा रक्षासूत्र तो आंसू छलक गए। विश्व के सबसे ऊंचे युद्ध स्थल जम्मू-कश्मीर स्थित सियाचिन में 21 फरवरी, 1991 को ऑपरेशन मेघदूत में नवलगढ़ के ढ़िगाल गांव के चौधरी घड़सीराम बिशू और तुलसी देवी बिशू के सबसे बड़े बेटे नायब सुबेदार नत्थू सिंह बिशू ने दुश्मन पाकिस्तान से लड़ाई में अदम्य साहस और पराक्रम का परिचय देते हुए अपनी शहादत दी। उस समय शहीद की देह को शहीद की जन्मभूमि पर लाने की आज जैसी व्यवस्था नहीं थी। शहादत के कुछ दिन बाद होली के दिन एक फौजी शाम के समय ढ़िगाल शहीद के घर आकर शहीद के कपड़े और सामान मौजिज लोगों को सौंपकर शहादत का समाचार दिया तो होली के हर्षोल्लास की तैयारियां दुख में बदल गई और होली के बनाए हुए चावल भी फेंकने पड़े। उस दिन को याद करके आज भी शहीद की बहन भागोती देवी महला और शहीद की बेटी सुनिता दड़िया होली पर्व पर हर वर्ष भावुक हो जाती हैं। 2018 में स्थापित शहीद के प्रतिमा स्थल पर प्रतिवर्ष घीसा की ढ़ाणी डूमरा से चलकर शहीद की सबसे छोटी बहिन भागोती देवी महला बीमार होने के उपरांत भी रक्षाबंधन पर जरूर अपने शहीद भाई के राखी बांधने आती है। शहीद पुत्री सुनिता दड़िया, रोशन सिंह तथा हेतराम बिशू, पोकरमल महला, पराग बिशू, सुमन चाहर, एकता एवं अन्य परिवार जन और ग्रामीण उपस्थित रहे।