राष्ट्रीय स्वच्छता सर्वेक्षण में निकाय झुंझुनूं का बहुत खराब प्रदर्शन का कारण बार-बार दिए गए निर्देशों की पालना नहीं करने का परिणाम — गुप्ता

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निकाय के अधिकारियों द्वारा स्वच्छ भारत मिशन के मापदंडों की अवहेलना अब नहीं होगी बर्दाश्त, स्वच्छता पर किये राजकोष व्यय की जांच भ्रष्टाचार निरोधक विभाग से कराई जाएगी

झुंझुनूं । अजीत जांगिड़

माननीय स्थाई एवं अनवरत लोक अदालत जिला झुंझुनूं द्वारा नगर परिषद झुंझुनूं के लिए नियुक्त न्याय मित्र केके गुप्ता द्वारा हाल ही में जारी राष्ट्रीय स्वच्छता सर्वेक्षण परिणाम में झुंझुनूं निकाय के बेहद खराब प्रदर्शन पर अत्यंत रोष व्यक्त किया गया। इस पर न्याय मित्र गुप्ता द्वारा नगर परिषद आयुक्त को पत्र लिखते हुए स्वच्छता सर्वेक्षण में बार-बार दिए गए निर्देशों की पालना नहीं किए जाने और इसके अभाव में सर्वेक्षण में कमजोर प्रदर्शन पर तथ्यात्मक रिपोर्ट मांगी गई है। न्याय मित्र गुप्ता ने पत्र में बताया कि स्वच्छता सर्वेक्षण को लेकर आई रिपोर्ट में आयुक्त द्वारा स्वच्छ भारत मिशन में किए जा रहे वास्तविकता को उजागर कर रही। जिसमें नेतृत्व एवं सम्बन्धित कर्मचारियों की लापरवाही पूरी तरह से प्रमाणित है। राजस्थान में स्वच्छता सर्वेक्षण में ख़राब प्रदर्शन आना निकाय की कार्य प्रणाली एवं स्वच्छ भारत मिशन के तहत परिषद अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा की जा रही लापरवाही को प्रदर्शित करता है। जो कि समय-समय पर निरीक्षण के समय दिए गए निर्देशों की पालना न करने का प्रमाण है। समय-समय पर जो भी शिकायतें आती है। उनका समाधान भी अधिकारियों—कर्मचारियों द्वारा समय पर नहीं किया जाता है। जिससे आमजन में निकाय की छवि खराब होती हैं। अधिकारियों—कर्मचारियों द्वारा वार्डों के अंदर कचरा उठाने एवं सफाई व्यवस्था के लिए उचित टेण्डरों के माध्यम से कार्य करवाना बताया जाता है। जबकि स्वच्छता सर्वेक्षण की रिपोर्ट में मात्र 50 प्रतिशत घरों से ही कचरा उठाया जा रहा है। जो आयुक्त की रिपोर्ट की वास्तविकता से काफी दूर है। फिर भुगतान किन मापदंडों पर किया जा रहा है तथा इसके लिए कौन-कौन जिम्मेवार है।

घर-घर कचरा संग्रहण नहीं किया, कचरे का निस्तारण और जनता की मूलभूत सुविधाओं का भी अभाव

पत्र में बताया कि सर्वेक्षण रिपोर्ट में गीला एवं सूखा कचरा अलग-अलग संग्रहण केवल चार प्रतिशत घरों से होना पाया गया है। जो अधिकारियों के कमजोर नेतृत्व एवं कर्मचारियों की लापरवाही का प्रमाण है। सर्वेक्षण रिपोर्ट में सार्वजनिक टॉयलेटों की स्वच्छता 50 प्रतिशत बताना घोर लापरवाही प्रदर्शित करती है। आयुक्त द्वारा टॉयलेट सफाई का भुगतान किन मापदण्डों पर किया जाता है तथा इसके लिए कौन जिम्मेदार है। सर्वेक्षण रिपोर्ट में कचरे का निस्तारण जीरो प्रतिशत आना स्वच्छता में अस्वच्छता का पैमाना कहा जाये तो भी कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। आज भी निरन्तर नालियों का पानी रूकना, गंदगी का फैलना, जानवरों का सड़कों पर घूमना, अतिक्रमण करना, हवेलियों को तोड़े जाना, सफाई व्यवस्था सुचारू न होना, कचरे का निस्तारण न करना, घरों से कचरा ना उठाना, रोड़ लाईटे बंद रहना जगह-जगह अंधेरा होने की शिकायतें निरन्तर आ रही है। आयुक्त द्वारा आमजन की शिकायतों का रजिस्ट्रेशन किया जाता है अथवा नहीं अगर किया जाता है तो पिछले वर्ष कितनी शिकायतें आई और कब-कब उन शिकायतों का निस्तारण किया गया के रजिस्टर की छायाप्रति न्याय मित्र गुप्ता ने मांगी है।

समय-समय पर निरीक्षण करके निर्देश दिए गए थे, लेकिन हालात जस के तरस रहे

न्याय मित्र ने बताया कि उनके द्वारा आयुक्त को निरीक्षण के समय कुछ कार्यों की पालना के लिए निर्देशित किया गया था। जिसको समय-समय पर मीडिया द्वारा भी प्रकाशित किया जाता रहा है। उनमें डोर टू डोर कचरा संग्रहण के लिए निर्देशित किया गया था कि जियो टैग से इसकी मोनिटरिंग की जाए। सुबह जब गाड़ी वार्ड में कचरा उठाने जाए, ड्राईवर खलासी एवं गाड़ी का फोटो अपने मोबाइल पर मंगवाएं तथा गाड़ियां सुबह छह बजे से वार्डों में कचरा उठाना प्रारंभ कर दें। परंतु आयुक्त द्वारा इसकी पालना नहीं की गई। उपरोक्त कार्य ठेका पद्धति से करवाया जाना बताया गया था। जबकि सर्वेक्षण रिपोर्ट में 50 प्रतिशत घरों से ही कचरा उठाया जाना बताया गया हैं। वास्तविक कार्य जो कि 50 प्रतिशत ही है ज्यादा भुगतान के लिए कौन जिम्मेदार होगा, इसका स्पष्टीकरण आयुक्त से न्याय मित्र द्वारा मांगा गया है। इसी तरह सार्वजनिक टॉयलेटों की सफाई को अलेकर आयुक्त को हर मीटिंगों में पूर्व में तथा वर्तमान में बताया गया था कि सार्वजनिक टायलेटों की फोटो दिन में तीन बार जियो टैग से मंगवाई जाए। परंतु इसकी भी कोई पालना नहीं की है। उपरोक्त कार्य के लिए कितना भुगतान किया गया। जबकि सर्वेक्षण रिपोर्ट के तहत यह कार्य 50 प्रतिशत ही होना बताया गया है। ज्यादा भुगतान के लिए कौन जिम्मेवार होगा। इसका स्पष्टीकरण मांगा है।

यहां भी निर्देशों की पालना नहीं की गई

न्याय मित्र गुप्ता ने बताया कि आयुक्त को शिकायतों के रजिस्ट्रेशन को लेकर निर्देशित किया गया था। लेकिन ना तो रजिस्ट्रेशन किया गया है और ना ही उसके निस्तारण को लेकर कोई योजना बनाई गई। यही हाल रोड लाइटों का रहा। जिसमें रजिस्टर में इंद्राज करने के निर्देशों की अवहेलना की गई। बेसहारा गौवंश को भी शहर से नंदीशाला तक पहुंचाने में नगर परिषद फेल रही। सड़कों पर अतिक्रमण को लेकर भी दिखावटी कार्रवाई की गई।

गुप्ता ने तीन दिन में मांगा जवाब, इसके बाद एसीबी से करवाएंगे जांच

न्याय मित्र गुप्ता ने बताया कि निकाय का प्रमुख कार्य शहर को स्वच्छ बनाना तथा स्वच्छता के घटकों पर गंभीरता से कार्य करना है। परंतु यहां उन सभी मापदंडों की अवहेलना की जा रही है। यहां यह स्पष्ट है कि आप द्वारा किया जा रहा कार्य सरकार के निर्देशों की अवहेलना के साथ-साथ स्वच्छ भारत मिशन जो कि राष्ट्रीय मिशन है। उसकी खुलकर अवहेलना की जा रही है। आयुक्त द्वारा स्वच्छ भारत मिशन के तहत किए जा रहे खर्चे की जांच के लिए एसीबी से जांच करवाई जाएगी। जो कि धारा 13(आई) (डी) के अंतर्गत आयुक्त द्वारा अपने कर्तव्यों की अवहेलना की जा रही है जनता त्रस्त है अधिकारी मस्त है। उपरोक्त सभी का जबाव तीन दिन में दिया जाए तथा स्वच्छता सर्वेक्षण में आई स्वच्छता की कमजोर रिपोर्ट के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों के विरूद्ध की गई कार्रवाई से अवगत करवाए तथा वर्तमान में आप द्वारा क्या- क्या सुधार किए जा रहे है उनकी भी रिपोर्ट भेजे। यहां यह भी सूचना देवे कि पिछले दो वर्षों में आप द्वारा स्वच्छता पर क्या-क्या खर्चा किया गया है मय वाउचर एवं सम्पूर्ण डिटेल्स संलग्न करें। जिससे सरकार एवं माननीय न्यायालय को आप द्वारा किए गए खर्चों से अवगत करवाया जा सके तथा उसकी जांच एसीबी से करवाई जा सके। संतोषप्रद जबाव न आने पर समस्त रिपोर्ट माननीय न्यायालय, उच्च अधिकारियों एवं एसीबी में कार्रवाई करने हेतु प्रेषित की जावेगी।

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