शिक्षा (विद्यालयी/संस्कृत) एवं पंचायती राज विभाग मंत्री मदन दिलावर चूरू आए, जिला मुख्यालय पर टाउन हॉल में आपातकाल के 50 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष में आयोजित संविधान हत्या दिवस 2025 कार्यक्रम में की शिरकत, लोकतंत्र सेनानियों का किया सम्मान
चूरू। शिक्षा (विद्यालयी/संस्कृत) एवं पंचायती राज विभाग मंत्री मदन दिलावर बुधवार को चूरू आए। उन्होंने जिला मुख्यालय पर टाउन हॉल में देश में लगाए गए आपातकाल के 50 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष में आयोजित संविधान हत्या दिवस— 2025 कार्यक्रम में शिरकत की और लोकतंत्र सेनानियों का सम्मान किया। इस अवसर पर चूरू विधायक हरलाल सहारण, जिला प्रमुख वंदना आर्य, पैरालिंपिक कमेटी के अध्यक्ष पद्मभूषण देवेंद्र झाझड़िया, जिला कलक्टर अभिषेक सुराणा, जिला उप प्रमुख महेंद्र न्यौल, प्रधान दीपचंद राहड़, बसंत शर्मा, वासुदेव चावला सहित जनप्रतिनिधि, अधिकारी व लोकतंत्र सेनानी मौजूद रहे।लोकतंत्र सेनानियों को संबोधित करते हुए शिक्षा एवं पंचायती राज मंत्री मदन दिलावर ने कहा कि हमारे लोकतंत्र सेनानियों की बदौलत ही हमारा संविधान व लोकतंत्र आज जीवित है। हम सतर्क रहें और देश और संविधान को सुरक्षित व संरक्षित करें। हमारा संविधान सर्वोच्च है। हम संविधान के प्रति अपनी निष्ठा बनाए रखें।मंत्री दिलावर ने संविधान हत्या दिवस मनाने के औचित्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आपातकाल को लगे 50 वर्ष बीत गए है। हमारी आने वाली पीढ़ी को ये पता रहना चाहिए कि हमारे लोकतंत्र को बचाने के लिए लोकतंत्र सेनानियों ने कितने कष्ट झेले थे। उन्होंने कहा कि हम आने वाले पीढ़ी में संवैधानिक मूल्यों और विचारों का संचार करें। आने वाली पीढ़ियां संविधान व संवैधानिक नीतियों का विरोध करने वाली गतिविधियों का डटकर विरोध करें। हमारे लोकतंत्र सेनानियों ने उस दौर में जेल एवं जेल से बाहर कड़ी यातनाएं झेलीं, जिनकी बदौलत आज संविधान सुरक्षित है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और प्रदेश मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने संविधान और संवैधानिक मूल्यों के प्रति अपनी निष्ठा जाहिर करते हुए आज का दिन संविधान हत्या दिवस घोषित किया है। हमें इन लोक लोकतंत्र सेनानियों का सम्मान करना है और उसे समय की उन प्रताड़नाओं व दृश्य को याद करते हुए संविधान व लोकतंत्र की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध रहना है।
विधायक हरलाल सहारण ने कहा कि हमारे लोकतंत्र सेनानियों ने लोकतंत्र बचाने के लिए कड़ी यातनाएं झेलीं है। हमारी आने वाली पीढ़ी उन यातनाओं को सुने— समझे और देश के लिए प्रतिबद्ध रहे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश आगे बढ़ रहा है। हम इसी प्रकार अपने लोकतंत्र क्यों संवैधानिक मूल्यों का संरक्षण व संवर्धन करें।
पैरालिंपिक कमेटी आॅफ इंडिया के अध्यक्ष पद्मभूषण डॉ देवेंद्र झाझड़िया ने कहा कि हमारे लोकतंत्र सेनानियों ने संविधान को बचाने के लिए लड़ाइयां लड़ीं, तभी भारत आज शीर्ष पर खड़ा है। बाबा साहब डॉ भीमराव अंबेडकर के दिए संविधान को बचाने का काम हमारे लोकतंत्र सेनानियों ने किया। उस वक्त हमारे लोकतंत्र सेनानियों को जेल में डाल दिया गया और कड़ी यातनाएं दी गईं। उन्होंने कहा कि मैं विश्व मंचों पर कहता हूं कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। हमारे लोकतंत्र सेनानियों ने इस लोकतंत्र को और अधिक मजबूत बनाया है। हम इसी भावना का समर्थन करते हुए देश व संवैधानिक मूल्यों का संरक्षण करें।
जिला प्रमुख वंदना आर्य ने कहा कि आपातकाल के दौरान हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था के समक्ष कड़ी चुनौतियां खड़ी थीं। उस समय प्रेस की स्वतंत्रता पर सेंसरशिप लागू कर दी गई थी। हमारे संवैधानिक अधिकार खतरे में आ गए थे। आदमी का जीवन कठिन हो गया था। हमें उन दिनों को याद करते हुए संविधान की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध रहना चाहिए।
बसंत शर्मा ने कहा कि हमें लोकतांत्रिक परंपराओं के संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध रहना होगा। हमारी सरकार लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए प्रतिबद्ध है। हम संविधान के प्रति अपनी निष्ठा के साथ राष्ट्रभावना से देश के विकास के मार्ग पर आगे बढ़ें। वासुदेव चावला ने कहा कि आपातकाल के समय लोकतंत्र सेनानियों ने हमारे देश और संविधान को बचाने का काम किया। अब हम इसी भावना को दोहराते हुए लोकतांत्रिक मूल्यों का संरक्षण करें। लोकतंत्र सेनानी ओम सारस्वत ने उस समय की परिस्थितियों व उनके द्वारा झेली गई यातनाओं की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि यह देश रहना चाहिए। यह देश मजबूती के साथ खड़ा रहे, यही हम सब की प्रबल भावना है। अतिथियों ने ओम सारस्वत, रामगोपाल शर्मा, शिव पूजन गुप्ता, टोपनदास नंदवाणी, मुरलीधर त्रिवेदी, अशोक कुमार पारीक, मदनलाल, प्रकाशचंद, किताबो, दुर्गा देवी, विमला, कमला सहित अन्य लोकतंत्र सेनानियों व उनके आश्रितों को सम्मानित किया।
इस अवसर पर पूर्व मंत्री खेमाराम मेघवाल, भास्कर शर्मा, सीपी शर्मा, दीनदयाल सैनी, सुशील लाटा, फतेहचंद सोती, राकेश जांगिड़, अभिषेक चोटिया, नौरंग वर्मा, सीताराम लुगरिया, श्रीराम पीपलवा, रवि आर्य, नरेंद्र कंवल, दौलत तंवर, सत्तार खान, नरेन्द्र काछवाल, सुरेश सारस्वत, प्रभा धंधावत, अख्तर खान, अजीत मेघवाल, महेश मिश्रा सहित जनप्रतिनिधि, अधिकारी व लोकतंत्र सेनानी मौजूद रहे। संचालन रवि दाधीच ने किया।