राजस्थानी कविताओं ने किया भाव-विभोर

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साहित्य अकादेमी, नई दिल्ली एवं मरूदेश संस्थान की ओर से गोपालपुरा उत्सव के अंतिम दिन हुआ कार्यक्रम ‘ग्रामलोक’

सुजानगढ़। साहित्य अकादेमी, नई दिल्ली एवं मरूदेश संस्थान, सुजानगढ़ की ओर से गोपालपुरा उत्सव के अंतिम दिन सोमवार को हुए ग्रामलोक कार्यक्रम में राजस्थानी कवियों ने अपनी रचनाएं सुनाकर भाव-विभोर कर दिया। महाकवि कन्हैयालाल सेठिया की जन्मशताब्दी समारोह के अंतर्गत आयोजित एवं अध्यात्म योगी चंदन मुनि को समर्पित इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में लेखकों, ग्रामीणों, विद्यार्थियों ने सहभागिता निभाई।

साध्वी ऊषा कुमारी के सान्निध्य एवं सरपंच सविता राठी की अध्यक्षता में हुए कार्यक्रम का शुभांरभ अतिथियों ने दीप प्रज्जवलित कर किया। आरंभ में ग्रामलोक के संयोजक व वरिष्ठ साहित्यकार भंवर सिंह सामौर ने आयोजकीय पृष्ठभूमि को रेखांकित करते हुए साहित्य अकादेमी के क्रियाकलापों की जानकारी प्रदान की। उन्होंने गोपालपुरा उत्सव के आयोजन को एक अच्छी शुरूआत बताते हुए कहा कि दूसरी ग्राम पंचायतों को भी इसका अनुसरण करना चाहिए। ऐसे आयोजनों से लोक संस्कृति एवं साहित्य का संरक्षण होता है।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि साहित्य अकादेमी से पुरस्कृत युवा लेखक एवं पीआरओ कुमार अजय ने अकादेमी के इस नवाचार की सराहना करते हुए विदयार्थियों से अपने लेखन के अनुभव साझा करते हुए साहित्य सृजन के गुर बताए। उन्होंने कहा कि विदयार्थी काल में ही लेखन की शुरूआत होती है, इसके लिए जरूरी है कि विदयार्थी ज्यादा से ज्यादा अच्छे लेखकों की किताबें पढें। उन्होंने विद्यार्थियों को जीवन में सफलता हासिल करने के भी गुर बताए और कहा कि विद्यार्थी अपना लक्ष्य तय कर पूरी एकाग्रता के साथ मेहनत करें तो कोई भी लक्ष्य हासिल कर सकते हैं।

विशिष्ट अतिथि जैन साध्वी कुसुम रेखा ने राजस्थानी में दिए अपने संबोधन में कहा कि किसी भी व्यक्ति के लिए मातृभाषा से बढ़कर दूसरी कोई भाषा नहीं हो सकती है। राजस्थानी भाषा की दुर्दशा के लिए स्वयं राजस्थान के लोग जिम्मेदार है। उन्होंने चंदन मुनि का स्मरण करते हुए ‘चालो एकला रे, आगे मोकळा रे’ सहित कई दार्शनिक भजन सुनाए। संचालन करते हुए मरूदेश संस्थान के अध्यक्ष डाॅ घनश्याम नाथ कच्छावा ने बताया कि कन्हैयालाल सेठिया जन्मशताब्दी के उपलक्ष्य में साहित्य अकादेमी की ओर से किए जा रहे यह अयोजन सराहनीय है। इस दौरान पूर्व अधीक्षण अभियंता व अर्हम आश्रम के अध्यक्ष डी.सी. सुराणा, उप सरपंच मांगी कंवर, बजरंग लाल जेठू, निशा आर्य, साध्वी प्रियदर्शना, अरविंद विश्वेंद्रा, गोविंद सिंह तंवर आदि ने विचार व्यक्त किए।

इन्होंने किया कविता पाठ

सरस्वती बाल निकेतन की छात्रा निहाशा कंवर ने झांसी की रानी पर आधारित रचना से कविता पाठ का आगाज किया। राजस्थानी कवि अरविंद प्रजापति ने नेताओं की प्रकृति और प्रवृत्ति पर व्यंग्यात्मक गीत सुनाकर श्रोताओं का मनोरंजन किया, वहीं बेटी की विदाई के क्षण पर गीत सुनाकर भावविभोर कर दिया। कवयित्री डाॅ साधना जोशी प्रधान ने बिखरते परिवार पर कविता सुनाई, वहीं ‘पीव थे परदेस बस्या’ से विरह वेदना को व्यक्त किए। प्रगति चैरड़िया ने चंदन मुनि पर लिखी अपनी कविताएं सुनाईं। मदन लाल गुर्जर ‘सरल’ ने जीवन, मृत्यु और बुढापा जैसे विषयों पर कविताएं सुनाकर जीवन दर्शन को अभिव्यक्ति दी। वरिष्ठ रचनाकार रामकुमार तिवारी ने विभिन्न विषयों पर राजस्थानी में व्यंग्यात्मक कविताएं सुनाकर दाद पाई। किशोर सैन ने भी रचना पाठ किया।

इन्होंने किया अतिथियों का स्वागत

इस अवसर पर आगंतुक अतिथियों का स्वागत कन्हैयालाल छाजेड़ सांडवा, शकुंतला सुराणा, छापर के बृजदान सामौर, रूपाराम खीचड़, झूमर मल सारण, कमली नायक, संतोष शर्मा, कौशल्या लाहोटी, लालचंद गिलड़ा, अमित तिवारी, अजय सैनिक, सत्यनारायण स्वामी, सत्यपाल सिंह, धनराज प्रजापत, प्रदीप माथुर, दिनेश स्वामी आदि ने किया। कार्यक्रम में आभार ग्रामलोक प्रभारी सुमनेश शर्मा नेे व्यक्त किया।

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