मोदी जी बोले —  वैसे राजस्थानी समझ में तो आ जाती है… 

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पाली की शांति और बाबली ने प्रधानमंत्री मोदी को सुनाई अपनी सफलता की कहानी
दीनदयाल अंत्योदय योजना राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़ी महिलाओं ने पीएम मोदी से वीसी के जरिए किया संवाद, केंद्रीय मंत्री चैधरी ने भी बढाया हौसला, सोलर लैंप बांटे

पाली। भले ही राजस्थानी भाषा की मान्यता पर केंद्र सरकार मौन हो, गुरुवार को स्वयं सहायता समूह के माध्यम लाभार्थियों से बात करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने जरूर कहा कि राजस्थानी भाषा उनके समझ में आ जाती है।
प्रधानमंत्री गुरुवार को अपने संवाद के दौरान सीताफल पल्प और चूड़ी-आर्टिफिसियल ज्वैलरी बनाकर अपनी और साथी महिलाओं की जिंदगी बदल देने वाली पाली जिले की बाबली बाई गरासिया और शांति देवी कुमावत से बात कर रहे थे। इस दौरान आदिवासी बाबली बाई ने स्थानीय भाषा में प्रधानमंत्री से संवाद किया, जिस पर अनुवादक ने हिंदी अनुवाद की बात कही तो प्रधानमंत्री ने कहा कि वैसे राजस्थानी समझ में तो आज जाती है, फिर भी बता दीजिए।
पाली की दोनों महिलाओं ने वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के जरिए अपने संघर्ष और सफलता की कहानी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सुनाई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस पर बहुत उत्साहित करने वाली प्रतिक्रिया दी और कहा, पाली की सभी बहनों को बहुत बधाई। आप बहुत अच्छा काम कर रही हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने इस अवसर पर कहा कि छोटे-छोटे समूहों के जरिए की जा रही गतिविधियों से बदलाव और सफलता की यह कहानियां दूसरी महिलाओं के लिए भी प्रेरणास्पद हैं और महिला सशक्तीकरण की दिशा में यह बड़ा काम है। प्रधानमंत्री ने सभी महिलाओं के काम की सराहना की और कहा कि अपने क्षेत्र में किए जा रहे अच्छे काम के फोटो, वीडियो और विवरण वे उन्हें भिजवाएं। बाली के सरस्वती स्वयं सहायता समूह की बाबली देवी ने बताया कि उनके क्षेत्र में सीताफल प्रचुर मात्रा में होते हैं लेकिन पहले इनके विक्रय का कोई व्यवस्थित स्वरूप नहीं होने से एक-दो रुपए किलो के भाव से ही इन्हें बेचना पड़ता था और जीविकोपार्जन में काफी कठिनाई का सामना करना पड़ता था। स्वयं सहायता समूह बनाने के बाद अब वहां सीताफल का पल्प निकालने के लिए प्रोसेसिंग यूनिट भी लगा ली है जिससे अब समूह की महिलाएं तीन हजार से लेकर दस हजार रुपए तक कमा रही हैं। इस काम से क्षेत्र के करीब 1200 परिवार जुड़े हैं। बाबली ने बताया कि चार साल पहले तक यह आमदनी नहीं थी। एक-दो रुपए किलो के भाव से बिक्री होती थी और 20-25 किलो से ज्यादा सीताफल एक महिला एकत्र नहीं कर पाती थी। बाद में समूह बनाया। पांच लाख का ऋण लिया। पल्प प्रोसेसिंग यूनिट तैयार की। 16 संग्रह केंद्र बनाए। अब तो राजस्थान से बाहर भी यह पल्प जाता है और मिठाइयों व आइसक्रीम आदि में उपयोग आता है।
गरीब नवाज स्वयं सहायता समूह की 50 वर्षीय शांति देवी ने प्रधानमंत्री को बताया कि उनके पति को हृद्य के वाॅल्व की प्राॅब्लम थी, इसलिए शुरू से ही परिवार के भरण-पोषण की जिम्मेदारी उन पर थी लेकिन आर्थिक स्थिति बड़ी कमजोर थी। बाद में समूह गठन की सलाह मिली और समूह गठन के बाद ऋण लेकर आर्टिफिसियल ज्वैलरी और चूड़ी बनाने का काम शुरू किया। वर्ष 2015 में मुद्रा लोन के बाद काम ने और गति पकड़ी। अब 140 महिलाएं आर्टिफिसियल ज्वैलरी बनाने का काम कर रही हैं। भारत सरकार द्वारा एक्जीबिशन शुरू किए जाने के बाद इनके विक्रय की समस्या भी खत्म हो गई है। अब तो उन्हें सूरजकुंड, फरीदाबाद, सूरत सहित विभिन्न शहरों से बड़े आॅर्डर मिल रहे हैं और स्वयं सहायता समूह ने उनकी जिंदगी ही बदल दी है।
सांसद सेवा केंद्र से वीसी के जरिए हुए इस संवाद के दौरान केंद्रीय विधि एवं काॅरपोरेट राज्य मंत्री पीपी चैधरी, जिला कलक्टर सुधीर कुमार शर्मा, एडीएम भागीरथ बिश्नोई, सीईओ उदयभानु चारण, सभापति महेंद्र बोहरा आदि भी पूरे समय मौजूद रहे। प्रधानमंत्री के संवाद पर सभी स्वयं सहायता समूह सदस्य उत्साहित नजर आईं।
केंद्रीय मंत्री चैधरी ने स्वयं सहायता समूह की महिलाओं का हौसला बढाया और सभी को सीएसआर के माध्यम से सोलर लैंप वितरित किए। उन्होंने कहा कि यह पाली जिले के लिए बड़ी बात है कि प्रधानमंत्री ने संवाद के लिए जिले को चुना। उन्होंने कहा कि स्वयं सहायता समूहों की गतिविधियां महिला सशक्तीकरण की दिशा में मील का पत्थर साबित होंगी। इस दौरान सभी महिलाओं ने केंद्रीय विधि राज्य मंत्री को उनके जन्मदिन की शुभकामनाएं भी दीं।
इस दौरान राकेश भाटी, महिला अधिकारिता के सहायक निदेशक भागीरथ चैधरी, डीआईओ सहित विभिन्न अधिकारीगण मौजूद रहे। एनआरएलएम की डीपीएम इंदु चोपड़ा ने बताया कि सांसद सेवा केंद्र में सीधे संवाद के अलावा एनआईसी व जिले के 151 काॅमन सर्विस सेंटर पर इस संवाद का सीधा प्रसारण देखा गया।

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