किसानों का दुश्मन कातरा खेतों पर होने लगा हावी..

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किसानों की मांग है कि जल्दी से जल्दी कातरा खत्म करने की व्यवस्था करे कृषि विभाग

सुजानगढ़/चूरू। (अमित प्रजापत)। कहते हैं राजस्थान में खेती करना बारिश का जुआ है। अगर बारिश यहां सही हो तो, उतपादन भी शानदार होता है और बारिश न हो तो अकाल का साया मंडरा जाता है। इस बार किसानों को अच्छी बारिश की उम्मीद तो है और इसी के चलते किसानों ने अपने खेतों में बुआई भी कर दी है। लेकिन किसानों का एक ऐसा दुश्मन भी है, जिसकी तादाद अब किसानों को डराने लगी है। दरअसल चौबीस घंटे फसलों को कुतर कर बर्बाद कर देने की क्षमता रखने वाले कातरे की तादाद इस बार बहुत ज्यादा बताई जा रही है। किसानों का कहना है कि जिस तादाद में फिडक़ले (कीट का राजस्थानी नाम) अंडे दे रहे हैं, इससे लगता है कि यही कातरा दस दिनों के बाद किसानों की फसल के लिए बर्बादी का पैगाम बनकर उभरेगा। दरअसल कातरे की पैदाईश फिडक़ले के द्वारा दिये जाने वाले अंडो से होती है। ये तादाद एक बार में 108 तक हो सकती है। अब सोचने वाली बात है कि एक फिडक़ला एक बार में 100 से अधिक कातरों को जन्म देता है तो खेतों में कातरे की तादाद कितनी ज्यादा होती है? चिंता की बात ये है बारिश होने से नमी के कारण कातरे को बढ़ावा मिलेगा।

इनका कहना है-
चरला गांव व इसके आस-पास के क्षेत्र में पिछले तीन चार सालों से लगातार कातरा पैदा हो रहा है, इस बार भी हो गया है। पिछली बार दिल्ली, चूरू से अधिकारियों की टीम आई थी, जिसने कहा था कि आपको कीट पकडऩे वाली लाईट देंगे और पाउडर भी देंगे, जिससे कीट खत्म हो जायेगा। लेकिन एक साल का समय बीत गया है, न लाईट मिली न पाउडर। कृषि विभाग के अधिकारियों को किसानों की बिल्कुल चिंता नहीं है। कम से कम अभी तो उन्हें किसानों के लिए कीट समाप्त करने के लिए व्यवस्था करनी चाहिए, ताकि किसानों की फसल बर्बाद न हो। मैंने 15 बीघा में बाजरा व मूंग की फसल बोई है, लेकिन कातरे के चलते परेशान हूं। मोडूराम शेरडिय़ा, किसान चरला।

मैंने 10 बीघा में बाजरे की बुआई की है, लेकिन हर बार की तरह कातरा पैदा हो जाने के कारण चिंता सता रही है कि कहीं खेती बर्बाद न हो जाये। आस-पास के सारंगसर, गनोड़ा, कोडासर, चरला, लुहारा, परावा, सारंगसर, सुजानगढ़ की रोही आदि गांवो में कातरा पैदा हो गया है, जिससे किसानों में डर है। कृषि विभाग को चाहिए कि वो जल्द से जल्द कातरा नष्ट करने की व्यवस्था करे, वरना किसानों को लेने के देने पड़ जायेंगे। रतिराम नायक, किसान चरला।

मैंने 20 बीघा में बाजरा, ग्वांर, मोठ, मूंग, तिल, चंवला की बुआई की है। अब खेतों में फसल अंकुरित होने लगी है। लेकिन कातरे का जन्म हो जाने के कारण प्रकृति के इस प्रकोप का डर लगने लगा है। कातरा अगर ज्यादा तादाद में हो गया तो खेतों को साफ कर देगा, इसी डर ने किसानों को चिंता में डाल दिया है। हमारी मांग है कि सरकार आवारा पशुओं व कातरे की समस्या से किसानों को निजात दिलाने के लिए जल्द से जल्द व्यवस्था करे, ताकि कृषि बर्बाद न हो। पीथाराम ज्याणी, किसान सुजानगढ़

बारिश के मौसम में कातरे का प्रकोप आम समस्या है, शुरूआती दौर में ही इस पर कंट्रोल किया जा सकता है बडा होने के बाद थोडा मुश्किल हो जाता है। किसानों को चाहिए कि कातरे के प्रकोप से अपनी फसल को बचाने के लिए क्वीनाल फोस 1.5 प्रतिशत का छिडकाव 6 किलो प्रति बीघा के हिसाब से अपने खेतों में करें। जिससे कातरे के अंडे नष्ट हो जाएगें और किसानों को बेहतर पैदावार मिल सकेगी।
कुलदीप शर्मा, कृषि अधिकारी, चूरू

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