देहदान एक उत्कृष्ठ परम्परा: बाबा बालकनाथ

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बाबा बालकनाथ

हनुमानगढ़ में देहदान करने वाले 14 दानवीरों के परिजनों को दिया महर्षि दधीची सम्मान

हनुमानगढ़। बाबा मस्तनाथ डेरा थेड़ी के मठाधीश ने देहदान को एक उत्कृष्ठ परम्परा की शुरूआत बताते हुए इसे बढ़ावा देने का आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि मनुष्य जीते जी दान करता ही है लेकिन मरने के बाद भी उसका शरीर किसी काम आ सकता है। इसका पता देहदान से ही चलता है। वे आज टाउन स्थित अपना घर वृद्धआश्रम में जन सेवा आश्रम समिति के तत्वावधान में देहदानी श्री जट्टूराम ग्रोवर की पुण्यतिथि पर आयोजित कार्यक्रम में सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने इस मौके पर 14 देहदानियों के परिवाजनों को महर्षि दधीची सम्मान प्रदान कर सम्मानित किया। बाबा बालकनाथ ने कहा कि मरणोपरांत पशुओं का चमड़ा, हड्डियां तो प्रारम्भ से ही काम आता रहा है। मगर मनुष्य के शरीर का कोई उपयोग मरणोपरांत नहीं था। आधुनिक चिकित्सा विज्ञान में मानव शरीर के कंकाल का उपयोग चिकित्सा शिक्षा के लिए शुरू होने के बाद इसका इस्तेमाल भी मरने के बाद होने लगा है। किसी जमाने में मेडिकल कॉलेजों में मृतदेह का अभाव था। कई तरह के अंधविश्वास लोगों को मृतदेह का दान करने से रोकते थे। मगर अब कुछ वर्षों में जागरूकता आई और लोग मरणोपरांत देहदान का संकल्प लेने लगे हैं। खुशी है देहदानियों के परिजन भी उनके संकल्प को पूरा कर रहे हैं। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे गौशाला समिति के अध्यक्ष मांगीलाल ने कहा आठ वर्ष पहले जब वृद्ध आश्रम के संस्थापक श्री जट्टूराम ग्रोवर की देह परम्परानुसार दाह संस्कार न करके देह का दान किया गया। इस क्षेत्र के लोगों को देह दान के महत्व के बारे में पता चला। इसके बाद देहदान का सिलसिला बन गया। आज भी लोग देहदान का निरंतर संकल्प कर रहे हंै। अरोडवंश सभा के अध्यक्ष सतीश कटारिया ने वृद्ध आश्रम की दिनचर्या के बारे में बताया। उन्होंने कहा यहां वृद्ध खुशहाल जीवन जी रहे हैं और समय-समय पर समाजसेवी संघ का सहयोग करते रहते हैं। कार्यक्रम में राजकीय स्कूलों के 200 विद्यार्थियों को शिक्षण सामग्री वितरित की गई। कार्यक्रम में आरडी पब्लिक स्कूल के प्रिंसीपल एसडी जोरा, जसपाल छाबड़ा, प्रकुल खेड़ा व डेरा स”ाा सौदा के प्रबंधक सुभाष ने भी अपने विचार व्यक्त किये। अंत में जनसेवा आश्रम समिति के अध्यक्ष राजेश बंसल ने सभी आगुन्तकों का आभार व्यक्त किया।

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