मोदी ने उद्धव को डिनर पर बुलाया, शिवसेना से रिश्ते सुधारने की कोशिश

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मुंबई। महाराष्ट्र में बीजेपी सरकार के गठबंधन सहयोगी शिवसेना के बीच सब कुछ ठीक सा नही लग रहा है। शिवसेना तो चुनाव से पहले ही पीएम नरेन्द्र मोदी ओर बीजेपी पर हमलावार रही है वहीं बीजेपी ने अभी तक बेहर सधी हुई प्रतिक्रिया दी है। हालांकि, अब बीजेपी भी शिवसेना के इस कड़वे बर्ताव से उकता गई है। सूत्रों के मुताबिक, शिवसेना से गठबंधन तोड़ने को लेकर बीजेपी ने मन बना लिया है। इस विषय पर महाराष्ट्र बीजेपी की टॉप लीडरशिप ने हाल ही में बैठक भी की। इस बीच, पीएम नरेंद्र मोदी ने शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे को डिनर पर बुलाया है। माना जा रहा है बीजेपी के किसी अंतिम फैसले पर पहुंचने से पहले पीएम मोदी ने खुद यह पहल की है। मोदी ने एनडीए कॉन्क्लेव डिनर के लिए उद्धव को बुलावा भेजा है। माना जा रहा है कि यह डिनर मीटिंग 29 मार्च को हो सकती है। बीजेपी के एक सीनियर पदाधिकारी ने बताया, ‘ठाकरे से बातचीत के दौरान मोदी जी महाराष्ट्र की सत्ताधारी बीजेपी और शिवसेना के बीच जारी गतिरोध को दूर करने की कोशिश करेंगे। हालांकि, बहुत कुछ इस बात पर निर्भर करेगा कि मोदी जी की इस पहल पर ठाकरे किस तरह प्रतिक्रिया देते हैं? वहीं, शिवसेना के एक नेता ने कहा, ‘यह देखना होगा कि एनडीए के विभिन्न सहयोगियों के साथ उद्धव ठाकरे भी इस डिनर में शामिल होते हैं कि नहीं। दरअसल, एनडीए की बैठकों में शिवसेना का प्रतिनिधित्व पार्टी के सीनियर नेताओं में शामिल संजय राउत, केंद्रीय मंत्री अनंत गीते या अनिल देसाई ही करते हैं। उद्धव जी अमूमन इस तरह के जमावड़े से दूर रहते हैं। हालांकि, वह डिनर के लिए दिल्ली जा सकते हैं क्योंकि न्योता सीधे पीएम का आया है।’ शिवसेना के एक नेता ने संकेत दिया कि मोदी राष्ट्रपति चुनाव के मुद्दे पर सहमति बनाने की दिशा में भी उद्धव से बातचीत कर सकते हैं।
इससे पहले, गुरुवार को बीजेपी की कोर कमिटी की बैठक हुई। सीएम देवेंद्र फडणवीस, प्रदेश अध्यक्ष राव साहब दन्वे, एजुकेशन मिनिस्टर विनोद तावड़े और ग्रामीण विकास मंत्री पंकजा मुंडे ने राजस्व मंत्री चंद्रकांत पाटिल के घर पर बैठक की। बैठक में शिवसेना द्वारा प्रदेश सरकार के फैसलों पर लगातार किए जाने रहे हमले के मुद्दे पर चर्चा की गई। मामले से जुड़े सूत्रों ने बताया कि इस राय मशविरे में पार्टी के सामने दो विकल्प उभरकर सामने आए। पहला यह कि मध्यावधि चुनाव में जाया जाए और दूसरा यह कि कांग्रेस और एनसीपी के विधायकों को अपने पाले में किया जाए।
बता दें कि बीजेपी के पास 288 विधानसभा वाले सदन में 122 सदस्य हैं। बहुमत के आंकड़े से उसके पास 23 विधायक कम हैं। हालांकि, पार्टी के पास 20 छोटी पार्टियों और निर्दलीय विधायकों में से 13 का समर्थन हासिल है। ऐसे में सरकार को सदन में अपना बहुमत साबित करने के लिए महज 10 विधायकों की जरूरत है। अगर बीजेपी के पाले में ये विधायक आ जाते हैं तो उसे शिवसेना के 63 विधायकों का समर्थन लेने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी।

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